International Tiger Day : अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस(International Tiger Day) जिसे ग्लोबल टाइगर डे के रूप में भी जाना जाता है, हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और बाघों की घटती संख्या के प्रति ध्यान आकर्षित करना है।
इस दिन की स्थापना 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुई थी, जहाँ 13 टाइगर रेंज देशों ने बाघों की आबादी को दोगुना करने के उद्देश्य से एक लक्ष्य निर्धारित किया था।
On International Tiger Day, I laud all those who are actively working to protect the tiger. It would make you proud that India has 52 tiger reserves covering over 75,000 sq. km. Innovative measures are being undertaken to involve local communities in tiger protection. pic.twitter.com/JlF8dQ3cxn
— Narendra Modi (@narendramodi) July 29, 2022
International Tiger Day 2024 theme in Hindi
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत International Tiger Day begins
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुई थी। इस दिवस की स्थापना उस समय की 13 टाइगर रेंज देशों के बीच हुई थी, जो बाघों के संरक्षण में साझेदारी बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रहे थे। इस अवसर पर बाघों की महत्वपूर्णता को सामाजिक माध्यमों और जागरूकता के माध्यम से प्रसारित किया जाता है और लोगों में उनके संरक्षण के प्रति समर्थन बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
International Tiger Day (How Many Types of Tigers are there)
विश्व में बाघ के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:
भारतीय बाघ (Panthera tigris tigris): ये बाघ भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, और पाकिस्तान में पाए जाते हैं। इनकी संख्या भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे अधिक है।
संडावेजी बाघ (Panthera tigris sondaica): इन्हे सुंदावेसी बाघ भी कहा जाता है और ये इंडोनेशिया के द्वीपसमूह सुंदा क्षेत्र में पाए जाते हैं। इनकी संख्या काफी कम है और इन्हें संरक्षित जीवनवाले क्षेत्रों में ही पाया जाता है।
बाघ के बचाव के लिए किये गए उपाय Measures taken to save the tiger
बाघों के बचाव के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, जिनमें से कुछ मुख्य हैं:
बाघों के संरक्षण के कानूनी प्रावधान: बाघों की संरक्षण के लिए कानूनी कदम लिए गए हैं, जैसे कि उनकी विशेषता को संरक्षित करने वाले वन्यजीव नियंत्रण अधिनियम (Wildlife Protection Act) जैसे कानून।
हालाती नियंत्रण: बाघों के संरक्षण के लिए उनके आवास क्षेत्रों की संरक्षण की जाती है और हालाती नियंत्रण उपायों के माध्यम से उनकी सुरक्षा की जाती है।
सांविधिक निकायों की भूमिका: बाघ संरक्षण के लिए विभिन्न सांविधिक निकायों और संगठनों जैसे शिकारी व्यवस्था, वन्यजीव संरक्षण संस्थान, और अन्य गैर सरकारी संगठनों का समर्थन किया जाता है।
समुदाय संजाल: स्थानीय समुदायों को सम्मिलित करने के लिए योजनाएं चलाई जाती हैं, जिससे उन्हें बाघों के संरक्षण में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
शिकारियों के विरुद्ध अभियान: अवैध शिकार और व्यापार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है और इसके लिए कड़ी सजा की जाती है।
प्राकृतिक संरक्षण और पुनर्गठन: बाघों के आवास क्षेत्रों को संरक्षित करने और पुनर्गठन के लिए प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र (Protected Areas) बनाए गए हैं और उन्हें प्रबंधित किया जाता है।
इन सभी उपायों का संयोजन और समर्थन बाघों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2024 थीम International Tiger Day 2024 Theme
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2024 की थीम आमतौर पर बाघ संरक्षण प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित है। विषय-वस्तु अक्सर बाघों के आवासों की रक्षा करने, वन्यजीवों की तस्करी से निपटने और बाघों की आबादी बढ़ाने की पहल को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देती है। विशिष्ट विषय वर्ष-दर-वर्ष भिन्न हो सकते हैं लेकिन आम तौर पर इसका उद्देश्य वैश्विक बाघ संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को उजागर करना है।
बाघो के लिए बनाये गए प्रमुख अभ्यारण Major sanctuaries built for tigers
बाघों के लिए विश्वभर में कई प्रमुख अभ्यारण (Tiger Reserves) हैं, जो उनके संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए विशेष रूप से निर्मित किए गए हैं। ये अभ्यारण विभिन्न देशों में स्थित हैं और अपनी विशेषताओं और प्रबंधन प्रणालियों के आधार पर अलग-अलग हैं। कुछ प्रमुख बाघ अभ्यारण निम्नलिखित हैं:
जिम कोर्बेट राष्ट्रीय अभ्यारण, भारत: यह भारत का पहला बाघ अभ्यारण है जिसे 1973 में स्थापित किया गया था। यह उत्तराखंड राज्य में स्थित है और बाघों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
रांथम्बोर राष्ट्रीय अभ्यारण, भारत: यह राजस्थान राज्य में स्थित है और इसमें रांथम्बोर किले के पास स्थित बाघों के लिए प्रसिद्ध है।
कान्हा राष्ट्रीय अभ्यारण, भारत: इस अभ्यारण में मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है और यहाँ बाघों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं।
बंदीपुर राष्ट्रीय अभ्यारण, भारत: यह कर्नाटक राज्य में स्थित है और बाघों के संरक्षण के लिए उपयुक्त माना जाता है।
चितवन राष्ट्रीय अभ्यारण, नेपाल: यह नेपाल में स्थित है और बाघों के संरक्षण के लिए वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण है।
बांगला बंदरबान बाघ अभ्यारण, बांग्लादेश: यह बांग्लादेश में स्थित है और बाघों के संरक्षण के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
ये केवल कुछ उदाहरण हैं, जबकि विश्वभर में और भी कई अभ्यारण हैं जो बाघों के संरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
भारत में बाघों की सख्या Number of Tigers in India
भारत में बाघों की संख्या को निर्धारित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन कुछ अंकगणित आंकड़े इसे संकेत देते हैं:
2018 की जनगणना के अनुसार: भारत में लगभग 2,967 बाघों की आबादी थी। यह जनगणना बाघों की संख्या को निर्धारित करने में मान्य है।
सरकारी रिपोर्टों के अनुसार: भारत में बाघों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है, खासकर वन्यजीव नियंत्रण अधिनियम (Wildlife Protection Act) के तहत बाघों के संरक्षण के प्रयासों के कारण।
वन्यजीव सर्वेक्षणों के आधार पर: विभिन्न बाघ अभ्यारणों में निर्धारित बाघों की संख्या का प्रबंधन किया जाता है, जिससे इस जानवर की सख्या का अनुमान लगाया जा सकता है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि भारत में बाघों की संख्या में वृद्धि देखी गई है, लेकिन इसे निरंतर निगरानी और संरक्षण की आवश्यकता है।
भारत में बाघों को मारने के लिए कानून Law to kill tigers in India
भारत में बाघों को मारने के लिए कानूनी प्रावधान कई हैं, जिनमें विशेष ध्यान दिया जाता है उनके संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में:
वन्यजीव नियंत्रण अधिनियम (Wildlife Protection Act), 1972: यह अधिनियम भारतीय वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अंतर्गत बाघों को मारना, शिकार करना या उनके विरुद्ध क्रियाएं करना गैर कानूनी है। यह अधिनियम बाघों की संरक्षा और उनकी संख्या को बढ़ाने के उद्देश्य से पारित किया गया है।
वन्यजीव (विशेष अधिकार) नियम, 1975: इसमें बाघों के विशेष अधिकारों का वर्णन किया गया है और उन्हें संरक्षित किया गया है। यह नियम उनकी बचाव की प्रक्रिया को प्रावधानित करता है।
भारतीय शिकारी अधिनियम, 1959: इस अधिनियम के तहत शिकारी प्रणाली को व्यवस्थित किया गया है और यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत और विशेष परमिट के साथ ही बाघों का शिकार किया जा सकता है।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: इस अधिनियम के अंतर्गत वन्यजीवों की संरक्षण के लिए स्थापित की गई नीतियों और प्रक्रियाओं के अनुसार बाघों के संरक्षण का प्रबंधन किया जाता है।
इन कानूनी प्रावधानों के माध्यम से भारत में बाघों की संरक्षण और संख्या को सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाते हैं, और बाघों के शिकार को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाती है।
भारत में बाघों के शिकार का पहला केस First case of tiger hunting in India
भारत में बाघों के शिकार का पहला केस विशेष रूप से निर्धारित करना कठिन है, क्योंकि यह इतिहासी और सांस्कृतिक जानकारी के आधार पर निर्भर करता है और ऐसे कई मामले हो सकते हैं जिनमें बाघों के शिकार के लिए कानूनी कार्रवाई की गई हो।
हालांकि, भारत में 20वीं शताब्दी में बाघों के शिकार के खिलाफ कई विवादित मामले सम्मिलित हैं, जिनमें कुछ महत्वपूर्ण हैं:
जिम कोर्बेट कांड (1930): इस मामले में ब्रिटिश सम्राटा की पत्नी, एवा सन्दर्स, ने जिम कोर्बेट नेशनल पार्क में शिकार किया था। इस घटना ने वन्य जीवन संरक्षण की मांग को बढ़ाया और बाद में ब्रिटिश सरकार ने कानूनी रूप से बाघों के शिकार को प्रतिबंधित किया।
राज्यपाल की प्रथमता (1900): 1900 के दशक में, राज्यपाल की खास प्रथमता के लिए बाघ का शिकार करना सामान्य था। बाघ के शिकार का उल्लेख भारतीय इतिहास में पाया जा सकता है।
बाघों के प्रकार और कहाँ पाया जाता हैं Types of tigers and where they are found
बाघ (Tiger) के प्रकार विश्व में दो होते हैं:
भारतीय बाघ (Panthera tigris tigris): यह बाघ भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, और पाकिस्तान में पाया जाता है। इसकी संख्या भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे अधिक है।
सुंदावेसी बाघ (Panthera tigris sondaica): इसे सुंदावेसी बाघ भी कहते हैं और यह इंडोनेशिया के सुंदा द्वीपसमूह में पाया जाता है। इसकी संख्या काफी कम है और यह संरक्षण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
ये दोनों ही प्रकार के बाघ वैज्ञानिक रूप से मान्यता प्राप्त हैं और वे अपनी जीवनशैली, आवास, और विशेषताओं में थोड़ी भिन्नता दिखाते हैं।
विश्व में बाघों पर बनाया गया फिल्म Film made on tigers in the world
विश्व में बाघों पर कई फिल्में बनाई गई हैं, जो इनकी महत्वपूर्णता, संरक्षण की आवश्यकता और उनकी जीवनी को दर्शाती हैं। कुछ प्रमुख फिल्में इस प्रकार हैं:
“Born Free” (1966): यह फिल्म एक बाघिनी और उसके शिकारी पति के बीच की दिलचस्प कहानी पर आधारित है। इस फिल्म ने बाघों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
“The Tiger: An Old Hunter’s Tale” (2015): यह दक्षिण कोरियाई फिल्म है जो एक पुराने शिकारी की कहानी पर आधारित है, जो एक बाघ के खिलाफ लड़ाई लड़ता है।
“The Tiger: An Indian Spy” (2017): यह फिल्म एक भारतीय गुप्तचर के जीवन पर आधारित है, जो एक बाघ की जीवनी और संरक्षण को दिखाती है।
“Baghban” (2003): यह बॉलीवुड फिल्म है जो परिवारिक दृष्टिकोण से एक बाघ की आपसी संबंधों को दर्शाती है।
“The Hunt” (2020): इस फिल्म में एक बाघ के शिकार को दर्शाया गया है, जो उसकी जीवनी और संघर्ष को दर्शाती है।
बाघों के संरक्षण के महत्व को समझना और इस दिशा में सामूहिक प्रयास करना बहुत जरूरी है, क्योंकि बाघ न केवल पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि वे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का भी प्रतीक हैं।
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