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Odisha parcel bomb case: उड़ीसा में एक शहर है पाटना गढ़ जो कि बालांगीर जिले में आता है इस पाटना गढ़ के ब्रह्मपुरा इलाके में एक पांच लोगों का परिवार रहा करता था। उस परिवार में से एक थे रविंद्र कुमार साहू जो कि परिवार के मुखिया थे एक थी। उनकी पत्नी संजुक्ता साहू एक उन दोनों का बेटा सौम्य शेखर साहू और एक बेटी इसके अलावा जो एक घर की सबसे बुजुर्ग बुजुर्ग महिला थी उनका नाम था जेमामनी साहू जो कि रविंद्र कुमार साहू की मां थी।

ये टोटल पांच लोगों का अच्छा खासा एक पढ़ा लिखा परिवार था रविंद्र कुमार साहू पटनागढ़ के जवाहरलाल नेहरू कॉलेज में जूलॉजी के लेक्चरर थे और संजुक्ता साहू भैंसा के ज्योति विकास जूनियर कॉलेज की प्रिंसिपल थी। इन दोनों का जो इकलौता बेटा था सौम्य शेखर साहू वो बेंगलोर में एक जैपनीज इलेक्ट्रॉनिक्स फर्म में इंजीनियर था। परिवार में पैसे वगैरह की भी कोई कमी नहीं थी और 2 साल पहले ही इन्होंने अपना नया मकान बनवाया था और उसमें शिफ्ट हुए थे।

फरवरी 2018 की इस परिवार में सौम्य शेखर साहू की पत्नी के रूप में एक छठी मेंबर भी शामिल होती है जिसका नाम था रीमा रानी साहू और इन दोनों की अभी 18 फरवरी 2018 को ही बड़ी धूमधाम से शादी हुई थी जिसकी वजह से उस वक्त पूरे परिवार में खुशियां ही खुशियां थी।18 फरवरी को दोनों की शादी होती है और इसके दो दिन बाद यानी 20 फरवरी 2018 को यह लोग एक रिसेप्शन पार्टी देते हैं और उस पार्टी में भी काफी सारे मेहमान शामिल होते हैं।

रिसेप्शन के बाद अगले एक दो दिन में पूरा घर खाली हो जाता है क्योंकि सारे मेहमान वापस चले जाते हैं। रविंद्र कुमार साहू की बेटी कजाकिस्तान से अपनी पढ़ाई कर रही थी और अपने भाई की शादी के लिए कुछ दिनों की छुट्टी लेकर आई थी। 22 फरवरी 2018 को रविंद्र कुमार साहू भी अपनी बेटी के साथ दिल्ली के लिए निकल जाते क्योंकि वहां से उनकी बेटी को कजाकिस्तान की फ्लाइट पकड़नी थी। सारे मेहमान के जाने के बाद घर में बचते हैं कुल चार लोग।

एक संजुक्ता साहू उनका बेटा सौम्य शेखर साहू एक उसकी पत्नी रीमा साहू और एक सौम्य की दादी मामनी साहू। अगले दिन 23 फरवरी 2018 की सुबह 10 बजे के करीब संजुक्ता साहू भी अपने कॉलेज के लिए निकल जाती है। घर में बचते हैं सिर्फ तीन लोग कुछ घंटे बाद रीमा किचन में जाती है और दोपहर के खाने की तैयारी करने लगती है। तभी अचानक आसपास बाहर से कोई घर का मेन दरवाजा खटखटा रहा है। सौम्य घर के बाहर जाता है और गेट खोलता है तो देखता है कि वहां एक डिलीवरी बॉय खड़ा है जो कि स्काई किंग कुरियर की तरफ से आया था।

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अनजान पार्सल का आना

उसके हाथ में एक बड़ा सा पार्सल था वो पार्सल सौम्य के नाम से आया था, उसे किसी एस के सिन्हा ने रायपुर से भेजा था। वहां से रायपुर लगभग 230 किमी दूर था, सौम्य वो पार्सल को रिसीव करता है और उसे किचन में लेकर आता है,लेकिन उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि इसे भेजा किसने है। क्योंकि वह रायपुर में किसी भी एसके सिन्हा नाम के इंसान को नहीं जानता था।

सौम्य यह बात अपनी पत्नी रीमा को भी बताता है जो कि किचन में ही थी, फिर उसे लगता है कि हो सकता है उसकी शादी का तोहफा हो क्योंकि एक तो वह शादी का घर था और दूसरा कि कई बार ऐसे लोग जो शादी या रिसेप्शन में नहीं पहुंच पाते वह कुरियर से ही अपने तोहफे भेज देते हैं। इतने में पीछे से सौम्य की दादी मामनी साहू भी किचन में पहुंच जाती है यह देखने कि गिफ्ट में क्या आया है।

अब सौम्य किचन में ही अपनी दादी और पत्नी के सामने उस पार्सल बॉक्स को खोलने लगता है। जब उसने बॉक्स को खोला तो देखा कि उस बॉक्स के अंदर एक और बॉक्स है जो कि ग्रीन गन कलर के गिफ्ट पेपर में अच्छी तरह से पैक था, उस बॉक्स में से एक सफेद रंग का धागा भी बाहर निकला हुआ था। दूसरा बॉक्स खोलने से पहले जो सफेद रंग का धागा बॉक्स से बाहर निकला हुआ था, पहले उस धागे को खींच देता है और जैसे ही उसने वो धागा खींचा अचानक से एक जोरदार धमाका हुआ ,धमाका इतना जबरदस्त था कि किचन की खिड़की दरवाजे सब टूट के गिर जाते हैं और किचन की दीवार में दरारें आ जाती हैं .

किचन की छत का प्लास्टर था वो भी टूट के जमीन पर गिर जाता है। ये तीनों अपनी जगह से उछलकर लहू लुहान होकर किचन की जमीन पर गिर जाते हैं सौम्य और उसकी दादी जे मामनी साहू तो तुरंत बेहोश हो जाते हैं मगर रीमा को अब भी थोड़ा होश था। क्योंकि वो उस पार्सल बॉक्स से थोड़ी दूरी पर खड़ी थी। रीमा किसी तरह घर के बेडरूम तक जाती है और वहां से फोन उठाकर संजुक्ता साहू को फोन लगाती है मगर इससे पहले कि वह नंबर डायल करती उससे पहले ही बेहोश हो जाती है।

अनजान पार्सल में विस्फोट होना

जोरदार धमाके की आवाज सुनते ही सारे पड़ोसी भी चौक जाते हैं और उन्हें लगता है कि घर में सिलेंडर ब्लास्ट हुआ है। जिसके बाद आनन फानन में सारे पड़ोसी भागकर घर के अंदर पहुंचते हैं देखते हैं कि किचन में सब कुछ बिखरा पड़ा है। यह तीनों जमीन पर बुरी तरह झुलसे पड़े हैं मगर किचन में जो सिलेंडर था वो बिल्कुल सही सलामत था। पड़ोसी को कुछ समझ में नहीं आता है। इसी बीच एक आदमी पुलिस को कॉल करता है और एक आदमी एंबुलेंस को और एक आदमी उनके घर वालों को कॉल करके इस धमाके की जानकारी देता है।

एंबुलेंस के आते ही लोग इन तीनों को लेकर बालांगीर के डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर हॉस्पिटल में पहुंचते हैं, मगर रास्ते में ही 85 साल की मामनी साहू दम तोड़ देती है और हॉपिटल पहुंचने पर उन्हें मुर्दा घोषित कर दिया जाता है। सौम्य और उसकी पत्नी रीमा को शुरुआती मरम पट्टी करने के बाद डॉक्टर उन दोनों को बरला के वीएसएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के लिए रेफर कर देते हैं वहां पहुंचने पर डॉक्टर सौम्य को भी मुर्दा घोषित कर देते हैं और रीमा को कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में रेफर कर दिया जाता है जहां डॉक्टर्स उसका इलाज शुरू करते हैं।

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तीन में से दो लोग सौम्य शेखर साहू और ज मामनी साहू की मौत हो चुकी थी, क्योंकि वो दोनों इस पार्सल बॉक्स के सबसे नजदीक थे और उस धमाके में करीब 90 फीसद तक जल गए थे, रीमा जो कि उस धमाके में 40 फीसद तक जल गई थी उसका इलाज कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में चल रहा था। उसका चेहरा सीना पेट और दोनों बाजू धमाके में बुरी तरह से झुलस गए थे। लेकिन वह खतरे से बाहर थी क्योंकि शरीर के अंदरूनी अंग सही सलामत थे। जिस घर में अभी कुछ दिनों पहले खुशियों का माहौल था वह अब मातम में बदल गया था।

घर के इकलौते चिराग सौम्य और उसकी दादी की मौत हो चुकी थी। घर की नई नवेली दुल्हन सिर्फ 5 दिनों के अंदर ही विधवा हो गई थी। बम धमाके की खबर मिलते ही पाटना गढ थाने की पुलिस भी मौका आए वारदात पर पहुंचकर अपनी जांच शुरू करती है और शुरुआत में उन्हें भी यही लगता है कि धमाका गैस सिलेंडर में हुआ है। पुलिस जब देखती है कि किचन में सिलेंडर बिल्कुल सही सलामत है तो वो भी थोड़ी कंफ्यूज हो जाती है। इसके बाद पुलिस बम स्कॉड टीम को बुलाया जाता है, क्योंकि वह इन मामलों में एक्सपर्ट होते हैं इसलिए किचन में घुसते ही उन्हें पता चल जाता है कि यह एक बम ब्लास्ट था।

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टीम को उस जगह से बारूद की बू आ रही थी इसके बाद फॉरेंसिक टीम भी आती है। उस जगह से बम के जो चीथर थे उन्हें सबूत के तौर पर इकट्ठा कर लेती है ,अब उड़ीसा पुलिस को यह तो पता चल गया था कि ये एक बम का धमाका था मगर पुलिस को यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह बम इस किचन में आया कहां से होगा। पुलिस इस बारे में घर वालों और पड़ोसियों से भी पूछताछ करती है पर उन्हें इस बारे में कुछ भी मालूम नहीं था।

जिन तीन लोगों को इस बारे में कुछ पता था उनमें से दो लोगों की पहले ही मौत हो चुकी थी और बची हुई एक पीड़िता जो अभी कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी। ओडिशा पुलिस शुरुआती जांच करने के बाद अब रीमा की हालत ठीक होने का इंतजार करने लगी ,तकरीबन एक हफ्ते बाद रीमा की हालत में कुछ सुधार होता है, जब वह थोड़ी बोलने लायक होती है तब 3 मार्च 2018 को उड़ीसा पुलिस रीमा का बयान दर्ज करती है। तब पुलिस को पहली बार पता चला कि धमाका स्काई किंग कुरियर के तरफ से आए एक पार्सल बॉक्स से हुआ था जो रायपुर से आया था।

यह पता चलते ही पुलिस अब फौरन इस दिशा में अपनी कार्यवाही शुरू करती है। यह धमाका पार्सल में आए एक बॉक्स से हुआ था तो मीडिया और अखबार के जरिये देखते ही देखते यह खबर पूरे देश में फैल जाती है। हर कोई यह खबर सुन कर दंग रह जाता है, क्योंकि यह अपने आप में हत्या का एक बहुत ही अलग तरह का मामला था कि किसी के घर में पार्सल के जरिए बम भेजकर उसकी जान लेना पूरे मीडिया में सारी खबर तो सही चल रही थी। दरअसल पूरे मीडिया में यह खबर चल रही थी कि किसी आर के शर्मा ने वो पार्सल बम रायपुर से भेजा था।

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जबकि वह नाम आर के शर्मा नहीं बल्कि एस के सिन्हा था। यह खबर गलत इसलिए चल रही थी क्योंकि पुलिस ने इत्तेफाक से मीडिया को गलत नाम बता दिया था। इसी गलत नाम की वजह से ही पुलिस को बाद में एक बहुत बड़ा क्लू मिलता है जो कि मैं आपको कहानी में आगे बताऊंगा। इधर इन्वेस्टिगेशन करने के बाद पता चलता है कि यह पार्सल 15 फरवरी 2018 को बुक कराया गया था और उस पार्सल का कुल वजन 2 किलो 100 ग्राम था। इसके बाद जब उड़ीसा पुलिस पार्सल भेजने वाले का नाम और जो एड्रेस उसने दिया था उसकी जांच पड़ताल करती है तो वह दोनों ही चीज फर्जी निकलती है।

अब पुलिस की एक टीम जांच करने के लिए अपने पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचती है। फिर रायपुर में उसी स्काइकिंग कुरियर के ऑफिस में पहुंचती है जहां से यह पार्सल बुक किया गया था। पुलिस वहां के सीसीटीवी फुटेज चेक करती है की शायद किसी कैमरे में भेजने वाले का चेहरा सामने आ गया होगा। जब पुलिस वहां पहुंची तो पता चला कि वहां कोई सीसीटीवी कैमरा है ही नहीं और पुलिस को वहां से भी कोई कामयाबी नहीं मिलती है। इसके कुछ दिनों बाद पुलिस को एक उम्मीद की किरण दिखती है।

कुछ दिन बाद पुलिस की साइबर सेल को यह पता चलता है कि पाटना गढ़ से तकरीबन 119 किमी दूर ओडिशा के कालाहांडी जिले के एक प्राइवेट कंप्यूटर से इस पार्सल को दो बार ऑनलाइन ट्रैक किया गया था। उड़ीसा पुलिस को शक हुआ कि जरूर यह काम कातिल ने ही किया होगा यह जानने के लिए कि पार्सल कहां तक पहुंचा है। जब पुलिस उस कंप्यूटर की लोकेशन ट्रैक करके वहां पहुंची तो पता चला कि कुरियर कंपनी के एक एंप्लॉई ने ही वहां से उस पार्सल को ट्रैक किया था। अब रायपुर के बाद यहां भी पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगती है। इसी बीच जब पुलिस ने कई और लोगों से पूछताछ की तभी पुलिस को एक नई जानकारी मिली .

पुलिस को पता चलता है कि कुछ महीनों पहले सौम्य शेखर शाहू के पास एक धमकी भरा गुमनाम कॉल आया था। शादी से लगभग 1 साल पहले सौम्य और रीमा की सगाई हुई थी। जिसके बाद ये दोनों अक्सर एक दूसरे से फोन पर बात किया करते थे। शादी से लगभग 8 महीने पहले जब सौम्य बेंगलोर में था,तभी एक दिन जब दोनों एक दूसरे से फोन पर बात कर रहे थे तभी सौम्य के फोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आता है। सौम्य रीमा के फ़ोन को होल्ड पर डालकर अनजान फोन उठाता है तो उधर से एक लड़का सौम्य को धमकी देता है कि वह रीमा से शादी नहीं करें वरना उसका अंजाम बुरा होगा।

सौम्य यह बात फिर रीमा को भी बताता है तो रीमा कहती है कि उसे इस बारे में कुछ भी नहीं पता पर इसके बाद क्योंकि और कोई कॉल नहीं आता इसलिए धीरे-धीरे वह दोनों इस बात को भूल जाते हैं और फिर इन दोनों की शादी भी हो जाती है। पुलिस को ये जानकारी मिलने के बाद उस अनजान नंबर को ट्रेस करना शुरू कर देती है। कुछ दुइन के बाद पुलिस फ़ोन को ट्रेस कर के उस लड़के तक पहुंच जाती है जिसने यह कॉल किया था। पुलिस को यह भी निराशा हाथ लगती है ,पता चलता है कि वह लड़का रीमा से एक तरफा प्यार करता था ,वह नहीं चाहता था की रीमा की शादी किसी और लड़के से हो।

पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने ले आती है और वह कबूल करता है कि कॉल उसी ने किया था, लेकिन इस बात से इंकार कर देता है कि पार्सल उसी ने भेजा था। इसके बाद पुलिस उसका पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराती है कि कहीं वह झूठ तो नहीं बोल रहा पर वह इस टेस्ट में पास हो जाता है। पुलिस को उसके खिलाफ कोई सबूत भी नहीं मिलता इसलिए पुलिस को उसे छोड़ना पड़ा है। उड़ीसा पुलिस को एक बार फिर निराशा ही हाथ लगती है। पुलिस को कहीं से को कोई कामयाबी नहीं मिली तो पुलिस को लगा कि कहीं ये कोई कांट्रैक्ट किलिंग का मामला तो नहीं है।

जिस तरीके से बड़ी ही आसानी से वह बम पार्सल के थ्रू भेजा गया वो कोई प्रोफेशनल ही कर सकता था। एक बम बनाना किसी नए लोगो का काम तो नहीं हो सकता है। पुलिस अब इस एंगल से भी केस की जांच करती है लेकिन कुछ नहीं मिलता फिर पुलिस कई और अलग-अलग एंगल से भी इस केस की जांच करती है , फिर भी पुलिस हो निराशा लगती है। पुलिस तकरीबन एक महीने तक अलग-अलग चार शहरों की खाक छानती रही होती है। इस दौरान दो दर्जन पुलिस वालों ने तक़रीबन 100 से भी अधिक लोगों से पूछताछ की जिनमें दोस्त,रिश्तेदार,स्काइकिंग कुरियर के कर्मचारी और डिलीवरी बॉय भी शामिल था।

पुलिस उन सभी लोगो में से लगभग आधा दर्जन लोगों को शक के घेरे में भी रखती है। पुलिस को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलता है। पुलिस सौम्य और रीमा के हजारों मोबाइल फोन रिकॉर्ड्स खंगाल डालती है उनके लैपटॉप को पूरा स्कैन कर डालती है, लेकिन उन्हें कोई सुराख कोई क्लू नहीं मिलता है। रीमा हॉस्पिटल में अभी भी अपने जख्मों से उभर रही थी जहां डॉक्टरों ने उसके चेहरे के जख्म को मिटाने के लिए कुछ प्लास्टिक सर्जरी भी की थी।

इस घटना को हुए पुरे 9 हफ्ते हो चुके थे , मगर रीमा को अभी तक यह नहीं बताया गया था कि उसके पति की इस घटना में मौत हो गई है,ताकि वह मेंटली स्ट्रांग रहे। घटना के 25 वें दिन इत्तेफाक से उसके कमरे में रखे एक पुराने अखबार के जरिए उसे यह पता चल जाता है कि उसके पति की मौत 25 दिन पहले ही हो चुकी है, वह बुरी तरह से टूट जाती है और बेहताश रोने लगती है। उसके साथ-साथ सारे फैमिली मेंबर्स भी रोने लगते हैं ,वह अपने परिवार से नाराज भी होती है कि उन्होंने उससे यह बात क्यों छुपाई।लोगो का कहना है कि अपने पति को खोने के गम में वह अगले लगभग 5 घंटों तक लगातार रोती रही थी।

इस बीच एक फैमिली मेंबर उसकी यह रोने वाली वीडियो बना लेता है और सोशल मीडिया पर डाल देता है जिसके बाद यह वीडियो तुरंत वायरल हो जाती है। शाम होते-होते यह वीडियो सारे लोकल न्यूज़ चैनल पर भी दिखाई जाने लगी और यह मामला इतना बढ़ गया कि लोग कहने लगे की पुलिस अपना काम सही से नहीं कर रही है। एक महीने गुजर जाने के बाद भी उन्हें कोई क्लू नहीं मिला था इसके बाद यह बात उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तक भी पहुंचती है। पब्लिक पुलिस के इन्वेस्टिगेशन से नाराज थी और मीडिया भी प्रेशर बना रही थी।

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इस घटना के ठीक एक महीने बाद 23 मार्च 2018 को यह केस लोकल पुलिस से लेकर स्टेट की क्राइम ब्रांच को दे दिया गया। क्राइम ब्रांच ने चार्ज लेते ही अपनी तफ्तीश शुरू कर दी और जितने भी संदिग्ध थे उन सभी से दोबारा पूछताछ करने लगी , उन्हें भी यहाँ कोई सुराग नहीं मिलता इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम रायपुर में स्काई किंग कुरियर के ऑफिस में पहुंचती है। उस ऑफिस के आसपास के लगभग 250 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को इकट्ठा करती है और कुरियर कंपनी के कर्मचारियों को दिखाती है।

किसी भी फुटेज में कुरियर भेजने वाला शख्स कहीं नजर नहीं आता तो यह सारी चीजें चलती रही मगर क्राइम ब्रांच के हाथ कोई कामयाबी नहीं लगी। तभी 4 अप्रैल 2018 को बलंगी के सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के पास इंग्लिश में टाइप किया हुआ एक नाम लेटर आता है उस खत की जो मेन हाईलाइट थी , कि जो पार्सल भेजा गया था वह आर के शर्मा के नाम से नहीं बल्कि एस के सिहा के नाम से भेजा गया था।

इस लेटर के जरिए भेजने वाला यह साफ-साफ कह रहा था कि यह पूरा मामला प्यार में धोखेबाजी पैसों और प्रॉपर्टी के बटबारे को लेकर है ,इसलिए क्राइम ब्रांच अब इस एंगल से भी इस केस की जांच शुरू करती है लेकिन कई दिनों की जांच के बाद भी उन्हें कुछ खास कामयाबी नहीं मिल पाती हैं। इस लेटर की एक डिजिटल कॉपी भुवनेश्वर में क्राइम ब्रांच के चीफ अरुण बोथरा को भी भेजी गई थी, लेटर को देखने के बाद उन्हें लगता है कि अब इस लेटर में ही उन्हें कुछ क्लू मिलेगा इसलिए वो इस लेटर को बार-बार पढ़ते हैं।

इतनी ज्यादा बार लेटर पढ़ने के बाद अचानक से उनका माथा ठनक होता है कि लेटर भेजने वाले को यह कैसे पता चला कि पार्सल एस के सिन्हा के नाम से भेजा गया था, जबकि पुलिस की गलती की वजह से पूरे मीडिया में आर के शर्मा का नाम चल रहा था। पुलिस को बाद में पता चल गया था कि वह पार्सल एसके सिन्हा के नाम से ही भेजा गया था। पुलिस को पहले ही पता था की वह दोनों ही नाम फर्जी है इसलिए मीडिया में क्या चल रहा है उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया मगर लेटर भेजने वाले को यह पता होना कि पार्सल एस के सिन्हा के नाम से भेजा गया था, वह एक बहुत बड़ा सुराख था।

इसका मतलब साफ था कि जिसने भी यह लेटर भेजा है वही कातिल है और पार्सल उसी ने भेजा है। क्राइम ब्रांच तुरंत उस लेटर को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजती है ताकि उस लेटर पे से कातिल के फिंगरप्रिंट लिए जा सके।फोरेंसिक जांच में उस लेटर से कुछ फिंगरप्रिंट मिलते हैं पर उनमें से कोई भी फिंगरप्रिंट साफ नहीं था। इसके बाद पुलिस लिफाफे के ऊपर जो स्टैंप लगा था उसमें लगे थूक के जरिए डीएनए निकलवाने की भी कोशिश की जाती है मगर डीएनए के लिए व सैंपल काफी नहीं था।

रीमा का सेहत ठीक होने के बाद उसे भी 12 अप्रैल 2018 को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इस घटना के डेढ़ महीने बाद भी पुलिस के पास कोई सुराग नहीं थी। क्राइम ब्रांच ने इस लेटर के बारे में किसी भी फैमिली मेंबर को नहीं बताया था और गुपचुप तरीके से इसकी जांच कर रही थी। जब पुलिस को कोई खास कामयाबी नहीं मिली तब पहली बार क्राइम ब्रांच ये लेटर उनके फैमिली मेंबर्स को दिखाती है।

जब सौम्य की मां संजुक्ता साहू ने इस लेटर को कई बार पढ़ा तो एक लाइन उन्हें क्लिक कर गई और वह लाइन थी अंडरटेकिंग द प्रोजेक्ट उन्होंने कहा कि उनके कॉलेज के एक टीचर है पूंजीलाल मेहर जो कि इंग्लिश पढ़ाते हैं। वह अक्सर एक लाइन कंपलीटिंग द प्रोजेक्ट का बहुत इस्तेमाल करते हैं तो वहां कंपलीटिंग द प्रोजेक्ट और लेटर में अंडरटेकिंग द प्रोजेक्ट एक दूसरे से मेल खा रहे थे। इसलिए उन्होंने शक जताया कि हो सकता है यह लेटर पूंजीलाल मेहर ने ही लिखा हो अब सवाल ये है की आखिर वह ऐसा क्यों करेंगे उनका इस केस से क्या लेना देना है।

तब वह बताती है कि उनके और पूंजीलाल मेहर के बीच में कॉलेज की प्रिंसिपल की पोस्ट को लेकर काफी कंट्रोवर्सी हुई थी। संजुक्ता साहू ने इससे पहले भी अपने शुरुआती बयान में पूंजीलाल मेहर के ऊपर शक जताया था और पुलिस ने घटना के एक हफ्ते बाद उसे उठाकर पूछताछ भी की थी। मगर पुलिस को उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला उन्होंने पूंजीलाल मेहर को छोड़ दिया था।

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इस बार क्राइम ब्रांच के हाथ में एक सबूत भी था, इसलिए क्राइम ब्रांच एक बार फिर पूंजीलाल मेहर को बुलाकर उससे पूछताछ करने का फैसला करती है पहले तो वह कुछ बताने से इंकार करता है,पर जब पुलिस सख्त होती है, तो वह पुलिस को एक कहानी सुनाता है वो कहता है कि एक शाम वो ऐसे ही बाहर टहल रहा था, तभी अचानक एक आदमी उसके पास आया और उसे यह लेटर दिया और इस लेटर को बालांगीर के एसपी को पोस्ट करने के लिए कहा उसे धमकी भी दी कि अगर उसने यह लेटर एसपी को नहीं भेजा तो यह उसके और उसकी फैमिली के लिए अच्छा नहीं होगा।

मगर क्राइम ब्रांच को पूंजीलाल की इस कहानी पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता हैं। वह उसके घर तलाशी के लिए पहुंच जाती है जहां से उन्हें कुछ चौकाने वाली चीजें मिलती है। क्राइम ब्रांच को उसके घर से नौ लिफाफे मिलते हैं जो कि ठीक उसी तरह के लिफाफे थे जिस इस तरह के लिफाफे में एसपी को वह लेटर भेजा गया था। यहां से क्राइम ब्राँच का शक और भी गहरा होता जाता है। इसके बाद जब पुलिस ने उसके घर को अच्छे से तलाशी लेती है तो उन्हें वहां से पार्सल बुकिंग की रसीद की एक कॉपी भी मिलती है, जो कि स्काई किंग कुरियर रायपुर की थी।

जब उन्होंने पूंजीलाल से इन सब के बारे में पूछा तो उसके पास इसका कोई जवाब नहीं था क्राइम ब्रांच उसके लैपटॉप और पेन ड्राइव को भी अपने कब्जे में लेती है, उसे फॉरेंसिक जांच के लिए गुजरात के गांधीनगर भेज देती है। इसके बाद क्राइम ब्रांच उसकी पहचान करने के लिए वह रायपुर के कुरियर कंपनी के कर्मचारी को बुलाती है, पूंजीलाल को देखते ही वह उसे पहचान लेते हैं और कहता हैं कि इसी आदमी ने पार्सल बुक कराया था।

पुलिस के पास अब इस घटना के सारे सबूत हैं। पूंजीलाल के पास अब बचने का कोई चारा नहीं बचता और वह सोचता है कि अब कुछ भी छुपाने का कोई फायदा नहीं और तब जाकर वह पूरी कहानी सुनाता है। कहानी यह थी कि आरोपी पूंजीलाल मेहर ज्योति विकास जूनियर कॉलेज भैसा में इंग्लिश का टीचर था। साल 2009 में संजुक्ता को कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया जाता है, उस वक्त संजुक्ता साहू बाड़ गढ़ जिले के झारबंध कॉलेज में पढ़ाया करती थी।

लेकिन साल 2014 में उनका ट्रांसफर झारबंध कॉलेज से ज्योति विकास जूनियर कॉलेज में कर दिया जाता है, वहां बतौर हिस्ट्री की लेक्चरर की पोस्ट जवाइन करती हैं। संयुक्ता साहू पूंजीलाल मेहर से 13 साल सीनियर थी, इसलिए यहां के शिक्षकों के द्वारा ये कयास लगाए जाने लगे कि अब उन्हें कॉलेज का प्रिंसिपल बनाया जा सकता है। जूनियर होने के नाते पूंजीलाल को खुद प्रिंसिपल की पोस्ट छोड़ देनी चाहिए थी लेकिन वह ऐसा नहीं करता हैं, अब क्योंकि उसे पता था कि एक ना एक दिन संयुक्ता साहू कॉलेज की प्रिंसिपल बन ही जाएंगी।

अब मेहर संयुक्ता साहू को बदनाम करने और उन्हें कॉलेज से निकलवाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाने लगा मगर वह उसमें कामयाब नहीं होता हैं। वह 2014 से लेकर 2017 तक लगातार संयुक्ता साहू को अलग-अलग तरीकों से परेशान करता रहा पर संजुक्ता साहू टस से मस नहीं होती हैं। 25 जनवरी 2017 को उड़ीसा की हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट की तरफ से संजुक्ता साहू के पास एक लेटर आता है और उन्हें ऑफिशियल कॉलेज का नया प्रिंसिपल बना दिया जाता है।

इसके बावजूद पूंजीलाल अगले कई दिनों तक प्रिंसिपल की कुर्सी नहीं छोड़ता पर फिर एक दिन दबाव में आकर उसे प्रिंसिपल की कुर्सी छोड़नी ही पड़ती है। पुलिस को दिया गया बयान में उसने यह भी बताया कि बचपन में ही उसके पिता उसे और उसकी मां को छोड़कर चले गए थे। जिसके बाद उसका बचपन बहुत ही मुसीबतों में गुजरा था लेकिन धीरे-धीरे उसने मेहनत की और प्रिंसिपल की पोस्ट तक पहुंच गया और उसका सपना था।

उसका सपना था की वह और भी अमीर और कामयाब आदमी बने ,जब संयुक्ता साहू की वजह से उसे अपना पद छोड़ना पड़ा तो उसे लगा कि वह उसकी कामयाबी के रास्ते में रोड़ा अटका रही है। प्रिंसिपल की कुर्सी जाने और निचली पोस्ट पे आने का उसे इतना मलाल होता है कि वह संजुक्ता साहू से नफरत करने लगता है, गुस्से में वह कॉलेज की दीवारों पर संजुक्ता साहू को लेकर उल्टी सीधी बातें लिखने लगता है।

मेहर एक बार संजुक्ता साहू को धमकी भी देता है कि उसे इसका बहुत बुरा अंजाम भुगतना होगा। इसके अलावा उसके आसपास के कुछ लोग उसकी प्रिंसिपल की पोस्ट जाने की वजह से उसे चिढ़ाने भी लगे थे। नफरत और लोगो के द्वारा चिढ़ाने के कारण उसके अंदर और भी गुस्सा भर दिया। जिसके बाद जलन और नफरत में आकर उसने सोचा कि इसका बदला लेना है और उसने संजुक्ता साहू और उसके पूरे परिवार को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया था।

अब उसने क्राइम से जुड़ी कई किताबें पढ़नी शुरू की और उसमें किसी को कैसे बिना कोई सबूत छोड़े मारा जाए उसके तरीके ढूंढने लगा। उसने कई हॉलीवुड और बॉलीवुड की मूवीज भी देखी ताकि उससे भी उसे कुछ आईडिया मिले और कुछ महीनों की खोजबीन के बाद उसने पूरे परिवार को पार्सल में बम भेजकर मारने का प्लान बनाया। अब बस वह कोई मौका ढूंढने लगा इस पार्सल को भेजने का और इत्तेफाक से उसे पता चलता है कि फरवरी 2018 में संजुक्ता शाहू के बेटे सौम्य शेखर की शादी होने वाली है।

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जिसके बाद वह फैसला करता है कि शादी के तोहफे में ही वह यह बम रखकर भेजेगा और शादी का तोहफा होगा तो किसी को शक भी नहीं होगा। इसके बाद अब उसने बम बनाना शुरू किया और उसके लिए उसने अक्टूबर 2017 में ही दिवाली के टाइम से बहुत सारे पटाखे खरीदने शुरू कर दिए और उन पटाखों को रामपुर पटनागढ़ के अपने पुश्तैनी घर में इकट्ठा करने लगा था। यहां भी उसने दिवाली का वक्त चुना ताकि किसी को भी कोई शक ना हो।

इसके बाद वह अगले दो महीनों तक अपने घर काम करता रहा उसने सबसे पहले उन पटाखों में से बारूद को अलग किया। एक्सपेरिमेंट के लिए पहले एक छोटा बम बनाया और उस बम को एक खाली जगह पर ले जाकर उसकी प्रॉपर टेस्टिंग की और जब वह उसमें कामयाब हो गया। अब वो सारे बारूद को मिलाकर उसने एक 2 किलो का बड़ा सा बम बनाया इसके बाद उस बम को उसने एक गत्ते के बॉक्स में अच्छे से पैक किया और उसका एक सफेद रंग का धागा डेटोनेटर के तौर पर बॉक्स से बाहर निकाल दिया ताकि उसे खींचते ही बॉक्स में धमाका हो जाए।

फिर उसने बॉक्स को एक ग्रीन कलर के गिफ्ट पेपर से पैक किया ताकि वह तोहफे जैसा लगे और लास्ट में उस बॉक्स को एक और गत्ते के बॉक्स में पैक करने के बाद उसका यह पार्सल बॉम बनकर तैयार हो गया। बम तैयार करने के बाद अब पूंजीलाल खामोशी से बिना कोई हड़बड़ी दिखाए अपनी तय की गई तारीख का इंतजार करने लगा। वो तारीख थी 15 फरवरी 2018 की यानी सौम्य की शादी से 3 दिन पहले की तारीख 15 फरवरी की सुबह सबसे पहले अपने कॉलेज जाता है और क्लास लेता है। वहां अपनी मौजूदगी दिखा कर क्लास लेने के बाद बाद वो वापस अपने घर जाता है।

वहां से पार्सल का बॉक्स उठाता है और अपनी बुलेट पर बैठकर अपने नजदीकी रेलवे स्टेशन कांटा बाजी पहुंचता है। फिर वहां अपनी बुलेट कांटा बाजी रेलवे स्टेशन के मोटरसाइकिल स्टैंड में लगाकर बिना टिकट लिए व रायपुर जाने वाली ट्रेन में चढ़ जाता है।पूंजीलाल टिकट इसलिए नहीं लेता क्योंकि टिकट काउंटर के पास सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था और वो उसमें कैद नहीं होना चाहता था।

इसके अलावा वह अपना मोबाइल फोन भी घर पर ही छोड़कर जाता है ताकि उसकी लोकेशन रायपुर की जगह पटनागढ़ दिखे, क्योंकि उसे पता था कि मोबाइल लोकेशन पुलिस के बहुत काम आती है। करीब 2 ढाई घंटे और 230 किमी का सफर तय करने के बाद वह अपने पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचता है। रायपुर पहुंचने के बाद स्टेशन से एक रिक्शा करके शाम करीब 5:1 बजे वह पहले डीटीडीसी कुरियर के ऑफिस पहुंचता है और वहां भी वह पूरे रास्ते अपना चेहरा रुमाल से ढककर रखता है ताकि किसी भी सीसीटीवी कैमरे की नजर में ना आए।

डीटीडीसी कुरियर के ऑफिस पहुंचने के बाद वह खुद नहीं जाता है और उस रिक्शा वाले को अंदर भेजता है। उस रिक्शे वाले को पूंजीलाल ने कुछ पैसों का लालच देकर फंसा लिया था। चूकिं कूरियर के ऑफिस में सीसीटीवी कैमरा लगा था तो अब वो रिक्शा वाला उस पार्सल को लेकर दुकान के अंदर बुक करने जाता है। मगर पार्सल देखते ही जो रिसेप्शनिस्ट उससे पूछ लेती है कि इस बॉक्स में क्या है जिसका जवाब रिक्शे वाले के पास नहीं था। दुकान के बाहर खड़ा पूंजीलाल भी इस बात को सुन रहा था और यह वो सवाल था जिसकी वह तैयारी करके ही नहीं आया था।

अब वो घबरा जाता है कि कहीं उस रिसेप्शनिस्ट को शक ना हो जाए इसलिए वह तुरंत दुकान के अंदर जाता है और वह पार्सल उठाकर वहां से तेजी में निकल जाता है। थोड़ी दूर आगे जाने के बाद अब वह एक ऑटो रिक्शा करता है और फिर वहीं पास में एक स्काई किंग कुरियर का ऑफिस था वहां पहुंचता है। स्काई किंग कुरियर के ऑफिस में कोई भी सीसीटीवी कैमरा नहीं था, इसलिए वह खुद पार्सल लेकर बुक करने अंदर जाता है। इस बार जब वहां का रिसेप्शनिस्ट उससे पूछता है कि पार्सल बॉक्स में क्या है तो वह कहता है कि इसमें मिठाई है।

इसके बाद वह अपना नाम अखिलेश सिन्हा बताता है और वह पार्सल पाटना गढ़ में शेखर साहू के नाम से बुक कराने के बाद वह उसी रात रायपुर से ट्रेन से वापस पाटना गढ़ अपने घर आ जाता है। अब वह पार्सल के पहुंचने का इंतजार करने लगता है। 5 दिन बाद पार्सल 20 फरवरी 2018 को ही पाटना गढ़ के स्काई किंग कुरियर ऑफिस में पहुंच जाता है, डिलीवरी बॉय फरवरी की शाम को ही वह पार्सल लेकर डिलीवरी करने के लिए सौम्य के घर पहुंचता है।

जब वो वहां पहुंचा तो देखा कि वहां पर एक रिसेप्शन पार्टी चल रही है जो कि सौम्य और रीमा की थी। सब अपने-अपने काम में बिजी है इसलिए वो उस दिन बिना पार्सल डिलीवर किए ही वापस लौट आता है। 3 दिन बाद यानी 23 फरवरी 2018 को वो एक बार फिर डिलीवरी के लिए पहुंचता है जिसके बाद सौम्य उस पार्सल को रिसीव करता है और फिर क्या होता है वो आपको कहानी में पता ही है।

पूंजीलाल पर कोई शक ना करें इसलिए वह मौत के बाद सौम्य और उसकी दादी के अंतिम संस्कार में भी शामिल होता है और झूठे आंसू भी बहाता है। पहली बार जब पुलिस उसे बुलाती है तो वह थोड़ा घबरा जाता है,पर वह शक के घेरे से बाहर आ जाता है पर जब यह केस क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया जाता है तो उसे लगता है कि कहीं वह पकड़ा ना जाए इसलिए ही वह इस केस की दिशा को भटकाने के लिए बालांगीर के एसपी को एक नाम खत भेजता है। और वह केस को किसी और दिशा में ले जाने की कोशिश करता है यहीं से पुलिस को कामयाबी हासिल होती है।

क्राइम ब्रांच 24 अप्रैल 2018 को पूंजीलाल महर को ऑफिशियल अरेस्ट कर लेती है इसके बाद जब पुलिस ने रामपुर पाटना गढ़ में उसके पुश्तैनी घर की तलाशी ली तो वहां के कूड़ेदान से उन्हें कुछ जले हुए बारूद के अवशेष मिले और जब उसकी केमिकल जांच कराई गई तो वह पार्सल में मिले बारूद से मैच हो गया इसके अलावा वहां से पुलिस को कुछ गत्ते के बॉक्स भी मिले और वह बॉक्स पूंजीलाल अपने कॉलेज से लेकर आया था।

CRIME

इस पूरे प्रोसेस की वीडियोग्राफी भी की गई जो कि बाद में सबूत के तौर पर पेश की गई तो सारे सबूतों और गवाहों को इकट्ठा करने के बाद क्राइम ब्रांच ने पटनागढ़ के सेशन कोर्ट में 18 अगस्त 2018 को पहली और 30 जनवरी 2019 को फाइनल चार्ज दाखिल की और पूंजी लाल मेहर के ऊपर धारा 302 यानी मर्डर 307 यानी अटेंप्ट टू मर्डर और 201 यानी सबूतों को मिटाने और गलत जानकारी देने का आरोप लगाती है इसके अलावा उसके ऊपर विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल करने और उसे प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए सेक्शन तीन और चार का एक्ट भी लगाया जाता है अभी फिलहाल पूंजीलाल बालांगीर की जेल में बंद है।

 

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