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KARTOOS KAND: उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित कारतूस कांड में 13 साल बाद रामपुर कोर्ट ने फैसला सुनाया है. पुलिस और सुरक्षा बलों में रहकर नक्सलियों को कारतूस सप्लाई करने वाले 24 आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया. अब कल आरोपियों के खिलाफ सजा का ऐलान किया जाएगा. सरकारी वकील प्रताप सिंह मौर्य ने बताया कि मामले में दस साल पहले तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था. एसटीएफ के एसआई प्रमोद कुमार की विवेचना में एक डायरी का पता चला. डायरी में मोबाइल नंबर और अकाउंट नंबर की जानकारी मिली.

जांच की प्रक्रिया शुरू

जांच को आगे बढ़ाते हुए 25 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 9 साक्ष्य अदालत में पेश किए. दोषियों में चार आम नागरिकों समेत पुलिस, सीआरपीएफ और पीएसी के जवान शामिल हैं. बता दें कि छह अप्रैल, 2010 को दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ की टुकड़ी पर नक्सलियों ने धावा बोल दिया था. ताबड़तोड़ हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. कारतूस घोटाले का खुलासा एसटीएफ लखनऊ ने 29 अप्रैल 2010 को किया था.

घोटाले की कड़िया जुड़ती.

जांच के दौरान कारतूस घोटाले की कड़िया जुड़ती गईं. केंद्रीय आयुध भंडार रामपुर से कारतूस नक्सलियों तक पहुंचाए जा रहे थे. नक्सलियों ने कारतूस का इस्तेमाल दंतेवाड़ा हमले में किया था. सरकारी वकील ने बताया कि सभी दोषियों को जेल भेजा जा रहा है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद स्पेशल जज ईसी एक्ट विजय कुमार ने 24 लोगों को दोषी माना है.

CRIME

दोषियों को सुनाई सजा

अगले दिन अदालत दोषियों को सजा सुनाएगी. बता दें कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान कारतूस घोटाले का मास्टरमाइंड पीएसी से रिटायर दारोगा यशोदानंद की मौत हो गई थी. आरोपियों को दोषी ठहराए जाने के बाद एक बार फिर 13 साल पुराने मामले की गूंज सुनाई देने लगी है.

यूपी के रामपुर कारतूस कांड में 13 साल की सुनवाई और 9 गवाहों की गवाही के बाद आखिरकार 24 दोषियों को 10-10 साल की कैद की सजा सुनाई गई है, साथ ही 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट ने गुरुवार को ही सभी आरोपियों को दोषी करार दे दिया था,वहीं शुक्रवार दोपहर बाद सजा सुनाकर सीधा जेल भेज दिया गया।

कहानी विस्तार से

सबसे पहले आपको बताते हैं कि आखिर ये करतूत कांड है क्या ? दरअसल, 6 अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में गश्त के दौरान सीआरपीएफ की टुकड़ी पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था। इस ताबड़तोड़ हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे। 76 जवानों की मौत से पूरे देश में हाहाकार मच गया था।

वहीं, हमले के बाद जांच में पता चला कि नक्सलियों द्वारा इस्तेमाल किये गए कारतूस प्रतिबंधित बोर ‘9 एमएम’ के हैं, जो की सरकारी है। इसके बाद सरकारी के कान खड़े हो गए। मामले की जांच यूपी एसटीएफ को सौंपी गई। एसटीएफ की टीम ने बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़ समेत प्रदेश के कई जिलों में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान पहला सूत्रधार प्रयागराज निवासी पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन की रामपुर में हुई गिरफ्तारी के बाद सामने आया।

एसटीएफ की टीम ने ज्वालानगर रेलवे क्रासिंग के पास 29 अप्रैल 2010 को छापा मारा। घोटाले के सूत्रधार पीएसी से रिटायर्ड दारोगा यशोदा नंद को अरेस्ट किया गया। उसके साथ सीआरपीएफ के दो जवान विनोद पासवान और विनेश कुमार भी पकड़े गए। एसटीएफ ने तीनों के कब्जे से 1.76 लाख रुपये और ढाई क्विंटल खोखा कारतूस, मैगजीन समेत हथियारों का जखीरा बरामद किया।

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डायरी का मिलना

उधर, जांच के क्रम में टीम को रिटायर्ड दारोगा यशोदा नंद के पास से एक डायरी भी मिली। इस डायरी में कई जिलों के पुलिस और पीएसी के जवानों के नाम लिखे थे। यशोदा नंद उनसे खोखा और कारतूस खरीदता था। एसपी ने डायरी के आधार पर तमाम आरोपियों को अरेस्ट कराया। 25 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई। कोर्ट ने इस मामले में 31 मई 2013 को आरोप तय किए। इसके बाद केस की सुनवाई शुरू हुई।

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आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी आरोपियों को जमानत दे दी थी। वहीं इसी दौरान घोटाले के सूत्रधार यशोदा नंद की मौत भी हो गई। बताते चलें कि कारतूस घोटाले के आरोपियों पर नक्सलियों से संबंध के भी आरोप लगे। आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने नक्सलियों को कारतूस की सप्लाई की। हालांकि, पुलिस आरोपियों और नक्सलियों के बीच के संपर्क को साबित करने में नाकाम रही।

दोष सिद्ध होना

वहीं अब 13 साल बाद गुरुवार को स्पेशल जज (ईसी एक्ट) विजय कुमार ने सभी पर सरकारी संपत्ति चोरी करने, चोरी का माल बरामद होने और षड्यंत्र रचने की धाराओं में दोष सिद्ध कर दिया था। शुक्रवार दोपहर बाद सभी को जेल से कोर्ट में पेश किया गया। इसके बाद कोर्ट में सुनवाई के बाद उन्हें सजा सुनाई गई। सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य ने बताया कि सभी आरोपियों पर सजा समान रूप से चलेगी।

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सभी आरोपीयों के विवरण

रामपुर कारतूस कांड में पुलिस और पीएसी के 20 जवानों को दोषी ठहराया गया है। इनके अलावा 4 आम लोगों को भी इस मामले में दोषी ठहराया गया है।

ये हैं कारतूस कांड में शामिल पुलिस और पीएसी के 20 दोषी जवान -:

1- विनोद पासवान निवासी महादेवगढ़ थाना भदोह जिला पटना बिहार।

2- विनेश निवासी ग्राम धीमरी थाना मझौला जिला मुरादाबाद।

3- दिनेश कुमार, ग्राम सुधनीपुर कला, थाना सराय इनायत, प्रयागराज।

4- वंशलाल निवासी वीरपुर थाना घाटमपुर जिला कानपुर नगर।

5- अखिलेश पांडेय निवासी रेकबार डीह थाना सराय लखन जिला मऊ।

6- राम कृपाल सिंह निवासी बिशनुपुरा थाना बिरियारपुर जिला देवरिया।

7- नाथीराम सैनी निवासी जलालपुर थाना भवन जिला शामली।

8- राम कृष्ण शुक्ल निवासी सुगौना थाना हरपुर बुधहट जिला गोरखपुर।

9- अमर सिंह निवासी चांद बेहटा थाना कोतवाली नगर जिला हरदोई।

10- बनवारी लाल निवासी विजीदपुर थाना फतेहपुर चौरासी जिला उन्नाव।

11-राजेश कुमार सिंह निवासी सोहगप पूरनपट्टी थाना गुढ़नी जिला सिवान बिहार।

12- राजेश शाही निवासी हरैया थाना तटकुलवा जिला देवरिया।

13- अमरेश कुमार निवासी देवनगर वार्ड सात थाना शिवली जिला कानपुर देहात।

14- विनोद कुमार सिंह निवासी उमती थाना रानीपुर जिला मऊ।

15- जितेंद्र सिंह निवासी शेखपुरा थाना बक्सा जिला जौनपुर।

16- सुशील कुमार मिश्र निवासी बजेटा थाना लालगंज बनकटी जिला बस्ती।

17- ओम प्रकाश सिंह निवासी रघुनाथपुर थाना खुरहजा बबुरी जिला चंदौली।

18- लोकनाथ निवासी विहिवा कला थाना कोतवाली जिला चंदौली।

19- मनीष कुमार राय निवासी पई थाना भन्डवा जिला चंदौली।

20- रजयपाल सिंह निवासी किशनपुर थाना बकेवर जिला फतेहपुर।

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