Fri. Oct 11th, 2024
Auto Shankar

Auto Shankar: अस्सी के शुरुआती दशक में तमिलनाडु में कुछ ऐसा हुआ, जिससे वहां की कानून व्यवस्था को एक झटका लगा. वजह थी शराब. गौरी शंकर से ऑटो शंकर की तब्दीली का पहला कारक. तमिलनाडु सरकार ने शराब पर बंदी लगा दी और झट से हटा ली. एक बार नहीं दो बार. और यहीं शंकर ने बजबजाती गैर कानूनी दुनिया में पहला कदम रक्खा.

Auto Shankar
हुआ यूं कि मद्रास का जितना भी तटीय इलाका था, वो ताड़ के पेड़ों से अटा पड़ा था. पता लगाना मुश्किल था कि रेत ज़्यादा है या ताड़ी. साथ ही वो जगह इतनी सुनसान और आम पहुंच से दूर थी कि लोकल शराब बनाने के लिए वो सबसे मुफ़ीद जगह थी. थोड़ा रिस्क ज़रूर था लेकिन पैसा भी कम नहीं था.

इसी वक़्त शंकर ने पेंटिंग बनाने का काम छोड़ ऑटो चलाना शुरू कर दिया. वक़्त को ध्यान में रखा जाए- अस्सी का शुरुआती दशक. गैर-कानूनी शराब लाने ले जाने के लिए इन ऑटो रिक्शा का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने लगा. क्यूंकि ये गाडियां शहर की सड़कों पर आराम से बिना रोक टोक दौड़ सकती थीं, साथ ही शहर को उनकी इतनी आदत लग चुकी थी कि शक की सुई उनपर सबसे आखिर में जाती थी. गौरी शंकर अब एक शराब का तस्कर बन चुका था.

शहर में शराब की आवाजाही से उसे तगड़ा मुनाफ़ा होने लगा था. और क्राइम का ऐसा है कि वो एक वैक्यूम क्लीनर सा काम करता है. एक बार आप चक्कर में पड़े तो खिंचते ही चले जाते हैं. शंकर ने खुद को अपग्रेड किया. अब एक स्मग्लर की बजाय वो सेक्स रैकेट में दलाल बन चुका था. साथ ही अपने ऑटो का इस्तेमाल वो वेश्याओं को लाने ले जाने में करता था. यहां से शंकर की एंट्री हुई मद्रास के अंडरवर्ल्ड में शंकर का ओहदा और रुतबा दोनों ही बढ़ चला था. अब उसका खुद का एक गैंग था.

auto shankar

गैंग का नंबर दो था मोहन. उसका छोटा भाई. साथ में एल्डिन और शिवाजी. ये तीन इसके ख़ास थे. इसके अलावा पांच और. इस गैंग ने मिलकर तिरुवनमयूर पर राज करना शुरू किया. सभी गैर कानूनी कम जो हो रहे थे, इन्हीं की कृपा से हो रहे थे. और इसके साथ फल फूल रहा था शंकर का सेक्स का धंधा. पेरियार नगर में उसका मेन अड्डा बना हुआ था. ये काम झोपड़पट्टियों में जोरों शोरों से चल रहा था,साथ ही इसकी एक छोटी ब्रांच साउथ मद्रास की एक मशहूर और व्यस्त सड़क एलबी रोड की लॉज में भी खुली हुई थी.

जिन्हें उसके इन कारनामों के बारे में मालूम था, दबी जुबान में कहते थे कि शराब की तस्करी और सेक्स रैकेट चलाने का काम बिना पुलिस की मदद के हो ही नहीं सकता. और ये बात सच थी. शंकर के ऊपर कई पुलिसवालों का हाथ था. कई पुलिसवालों पर शंकर का हाथ था. क्राइम की दुनिया में शंकर का नाम तब बड़ा हुआ जब शंकर ने कुछ टॉप मिनिस्टर्स और सीनियर पुलिस अफसरों को वेश्याएं सप्लाई करनी शुरू कर दीं. यहां से शंकर पीछे मुड़ कर नहीं देखने वाला था. ये बात उसे बखूबी मालूम भी चल चुकी थी. और यहीं से उसके मन में कानून से ऊपर होने की गफ़लत पल गयी.

auto shankar

1988 के आखिरी हिस्से में तिरुवनमयूर से 9 लड़कियों के गायब होने की बात सामने आई. पुलिस के पास शिकायत भी की गई. पुलिस जिसे शंकर के कारनामों की पूरी जानकारी थी, मामले को टरकाने में लग गयी. उनका कहना था कि वो सभी लड़कियां सेक्स रैकेट में काम करने लगी हैं और अपनी मर्ज़ी से घर से भागी हैं. लेकिन जब लड़कियों के घरवाले इस आरोप को लगातार नकारते रहे तो पुलिस को झक मारकर तफ्तीश करनी ही पड़ी. उन लड़कियों के बारे में कुछ भी मालूम नहीं चला.

शंकर के रैकेट में एक लड़की थी ललिता. जब उसे ललिता के भागने के बारे में पता चला तो वो उसे पागलों की तरह ढूंढने लगा. उसका पता मिलने पर शंकर उस तक पहुंचा, उसे और उसके प्रेमी को पेरियार नगर वापस लेकर आया. वहां ललिता को पीट-पीट कर मार डाला. ललिता के प्रेमी को शंकर ने आग में भून दिया. उसकी जली हुई लाश को उसने समंदर में फेंक दिया. ललिता की लाश डेढ़ साल बाद मिली.

उधर एल बी रोड पर मौजूद उसके सेक्स रैकेट के दूसरे अड्डे पर एक दिन एक घटना हुई. वहां तीन लड़कों ने एक वेश्या को ज़बरदस्ती उस लॉज से बाहर ले जाने की कोशिश की. शंकर वहीं मौजूद था. वो लड़ पड़ा. लड़ाई सिर्फ कहा-सुनी से शुरू हुई थी जो बढ़ चली. शंकर ने उन्हें भी पीट-पीट कर मार डाला. एक बार फिर पेरियार नगर में ही उन लड़कों की लाश गाड़ दी गईं.

दिसंबर 1988 में शराब की एक दुकान से बगल से गुज़रती लड़की को लगभग अगवा कर ही लिया गया था. वो कैसे भी गुंडों से बच निकली और सीधा पुलिस के पास जा पहुंची. पुलिस इस बढ़ती गुंडागर्दी से तंग आ चुकी थी. पुलिस के कुछ अफ़सर अंडरकवर होकर काम करने लगे. वो उस शराब की दुकान में पहुंचे, जहां लड़की को अगवा करने की कोशिश की गयी थी. वहां पहली बार उनके सामने ये नाम आयाऑटो शंकर यानी वो आदमी जिससे सभी डरते थे और जो निर्दयता की हद तक क्रूर था. पुलिस को जो बताया गया, उसके मुताबिक इस ऑटो शंकर को आदमियों को जलाकर समंदर में फेंकना बेहद पसंद था.

अगली सुबह पुलिस ने गौरी शंकर को गिरफ्तार कर लिया गया. जून 27 1988. दुनिया को ऑटो शंकर के बारे में मालूम चल रहा था. शंकर को तुरंत ही बेल मिल गयी. उसके पुलिस और पॉलिटिक्स में काफी कनेक्शन थे. इसी वक़्त तमिलनाडु में पॉलिटिकल उथल-पुथल भी खूब चल रही थी.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन की मौत हो गई थी. वहां गवर्नर का शासन चल रहा था. इस समय गायब हुए लोगों के परिवार वालों ने गवर्नर पीसी एलेक्जैंडर के पास अपनी समस्या पहुंचाई. तिरुवनमयूर की पुलिस कुछ भी करने में नाकाम रही थी. गवर्नर एलेक्जैंडर ने इस केस के लिए एक स्पेशल टीम बनवाई. आरी नाम का एक पुलिस ऑफिसर इस केस में स्पेशली तैनात किया गया. क्यूंकि वो शंकर को पर्सनली जानता था. और उसकी आदतों से भी वाकिफ़ था.

auto shankar

आरी ने जो जानकारियां इकट्ठा की, उन्होंने इस तफ्तीश में काफी मदद की. पुलिस ने शंकर के पूरे गैंग को रिमांड पे लिया और भरपूर इंटेरोगेशन की. गैंग के ओरिजनल मेंबर एल्डिन सबसे पहले लीक हुआ. उसने ज़ुर्म कुबूल किए और सरकारी गवाह बनने को राज़ी हो गया. शह पाकर पुलिस शंकर के पास पहुंची और फिर से अरेस्ट किया. इस बार उसने भी जुर्म कुबूल लिए पुलिस ने पेरियार नगर से पांच लाशें बरामद की. शंकर ने उन्हें सीमेंट की दीवारों में चुनवा दिया था.

लाशों की बरामदगी महज़ शुरुआत थी. जब शंकर की प्रॉपर्टी खंगाली गई तो एक डायरी मिली. डायरी में वो सब कुछ था, जो खुले में आना बेहद ज़रूरी था. उसमें ऐसे तमाम पुलिसवालों का नाम था जो उसकी मदद किया करते थे. साथ ही कई पुलिसवालों की फ़ोटो भी मिलीं जिन्होंने शंकर के साथ खड़े होकर पोज़ देते हुए फ़ोटो खिंचवाई थीं. दो पुलिसवाले तुरंत ही सस्पेंड कर दिए गए. एक डिप्टी सुप्रिटेंडेंट को लम्बी छुट्टी पर भेज दिया गया. बाद में उसे भी सस्पेंड कर दिया.

शंकर ने अदालत में बताया कि उसके क्राइम के पीछे मेन हाथ सिनेमा का था. उसे फिल्मों में दिखाए क्राइम से प्रेरणा मिलती थी. उसे फ़िल्मी विलेनों जैसा बनना था. उस वक़्त के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस ने एक सेमिनार में कहा था कि शंकर के मॉरल करप्शन की वजह भी सिनेमा ही था.

हालांकि बाद में शंकर ने जो भी बताया, वो बहुत ही निराशाजनक और शर्मनाक था. हैरान करने वाला भी. उसने अपने कुबूलनामे में और कई रिपोर्टरों से बात करते हुए ये बताया कि कि उसने जिन भी लड़कियों को किडनैप किया या किडनैप की कोशिश की, वो पॉलिटिशियन्स के लिए थीं. उसने कहा कि जब पॉलिटिशियन्स उनका रेप कर देते थे, तो वो उन्हें मारकर समंदर में फेंक देता था.

अभी तक शंकर और उसका गैंग पल्लावरम पुलिस स्टेशन में बंद थे. उन्हें अब मद्रास सेन्ट्रल जेल में भेज दिया गया. वहां से शंकर अपने चार साथियों के साथ भाग निकला. कहते हैं उसकी मदद एक महिला ने की थी. बाद में पता चला कि तीन जेल वॉर्डन ने मिलकर शंकर की मदद की थी.

शंकर को पकड़ा गया उड़ीसा में. राउरकेला. जहां मशहूर स्टील प्लांट मौजूद था. तीनों जेल वॉर्डन को 6-6 महीनों की सज़ा दी गयी. लेकिन हालात ये थे कि जेल की सलाखों के पीछे रहने के बावजूद उसकी स्टाइल में कोई कमी नहीं आई. उसे जेल में भी व्हिस्की मिलती थी. पैसे और भ्रष्ट पुलिस के दम पर सेक्स छोड़कर उसे जेल में सब कुछ मिल जाता था.

auto shankar
शंकर के जेल से भागने की वजह से उसकी सज़ा में छूट के सभी रास्ते बंद हो गए. मौत की सज़ा पर प्रेसिडेंट ने माफीनामे पर साइन करने से भी मना कर दिया. उस वक़्त राष्ट्रपति की कुर्सी में शंकर दयाल शर्मा बैठते थे. मर्सी प्ली के रिजेक्ट होने के कुछ ही दिन बाद अप्रैल 27 1995में सालेम जेल में गौरी शंकर उर्फ़ ऑटो शंकर को फांसी पर लटका दिया गया.

One thought on “CRIME MYSTERY EP 4: ऑटो शंकर”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *