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Indian ConstitutionIndian Constitution

Indian Constitution : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 6 से 11 भारतीय नागरिकता से संबंधित प्रावधानों को निर्दिष्ट करते हैं। ये अनुच्छेद 1950 के संविधान निर्माण के समय भारत में नागरिकता के अधिकारों और शर्तों को स्पष्ट करते हैं। यहाँ पर प्रत्येक अनुच्छेद का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

Article 6 of the Indian Constitution

अनुच्छेद 6: 1950 के संविधान लागू होने से पहले पाकिस्तान से भारत आने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार

अनुच्छेद 6 पाकिस्तान से प्रवास कर के भारत आने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकारों को निर्दिष्ट करता है। इस अनुच्छेद का उद्देश्य उन लोगों के लिए नागरिकता का निर्धारण करना है जो भारत की स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान से भारत में आए थे।

संविधान का अनुच्छेद 6 इस प्रकार है:

संविधान लागू होने से पहले पाकिस्तान से भारत आने वाले कुछ व्यक्तियों के लिए नागरिकता के अधिकार:

ऐसे व्यक्ति जिनका जन्म भारत में हुआ हो, और जो 19 जुलाई 1948 से पहले भारत में प्रवास कर चुके हैं या 19 जुलाई 1948 के बाद भारत में प्रवास कर चुके हैं।

ऐसे व्यक्ति जिनके माता-पिता या पितामह-पितामही का जन्म भारत में हुआ था।ऐसे व्यक्ति जिनके पास भारत में प्रवेश करने के लिए भारत सरकार द्वारा जारी कोई परमिट, पासपोर्ट या अन्य वैध यात्रा दस्तावेज है।

इस अनुच्छेद के तहत, जो लोग 19 जुलाई 1948 से पहले भारत में आ चुके हैं, वे स्वतः भारतीय नागरिक माने जाएंगे। वहीं, 19 जुलाई 1948 के बाद आने वाले लोगों को भारत सरकार द्वारा जारी परमिट या अन्य यात्रा दस्तावेज़ की आवश्यकता होती है।यह प्रावधान भारत की स्वतंत्रता के बाद उत्पन्न हुए विभाजन और उससे संबंधित प्रवास के संदर्भ में नागरिकता की स्थिति को स्पष्ट करता है।

यह अनुच्छेद उन व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकारों को संबोधित करता है जो पाकिस्तान के किसी भी क्षेत्र से भारत में आए और संविधान लागू होने से पहले भारत में निवास करने लगे।

Indian Constitution Articles 6 to 11 in hindi

Article 7 of the Indian Constitution

अनुच्छेद 7: 1950 के संविधान लागू होने के बाद पाकिस्तान जाने वाले व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार। यह उन लोगों के नागरिकता के अधिकारों के बारे में है जिन्होंने पाकिस्तान में प्रवास किया था लेकिन फिर वापस भारत लौट आए थे।

संविधान लागू होने के बाद पाकिस्तान जाने वाले व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार:

कोई भी व्यक्ति जो संविधान लागू होने के बाद (26 जनवरी 1950 के बाद) पाकिस्तान गया है और वहां की नागरिकता प्राप्त कर ली है, वह भारतीय नागरिक नहीं होगा।
हालांकि, अगर कोई व्यक्ति जो पाकिस्तान गया था, लेकिन वह बाद में भारत वापस आ गया और भारत में पुनर्वास के लिए कानूनन स्थापित परमिट प्राप्त किया हो,
उसे भारतीय नागरिक माना जाएगा।

इस अनुच्छेद का उद्देश्य विभाजन के बाद उत्पन्न स्थिति को संबोधित करना है, जहां कुछ लोग पाकिस्तान चले गए थे लेकिन बाद में विभिन्न कारणों से वापस भारत लौट आए। ऐसे व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकारों को स्पष्ट करते हुए, यह अनुच्छेद उनके भारतीय नागरिकता को पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया को स्थापित करता है।

Indian Constitution Articles
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Article 8 of the Indian Constitution

अनुच्छेद 8: भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिकों के नागरिकता के अधिकार

अनुच्छेद 8 भारतीय संविधान में वह व्यक्तियों की नागरिकता के अधिकारों को संबोधित करता है जो भारत के बाहर किसी देश में निवास कर रहे हैं, लेकिन उनके या उनके माता-पिता या पितामह-पितामही का जन्म भारत में हुआ है। इस अनुच्छेद के अंतर्गत, ऐसे व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता के अधिकार दिए जाते हैं। यदि वे निम्नलिखित शर्तों को पूरा करते हैं।

भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिकों के नागरिकता के अधिकार: कोई व्यक्ति जो भारतीय नागरिक है, लेकिन वह भारत के बाहर किसी अन्य देश में निवास कर रहा है, उसे भारतीय नागरिकता के अधिकार दिए जाते हैं यदि उसका या उसके माता-पिता या पितामह-पितामही का जन्म भारत में हुआ हो।

वह भारतीय सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त परमिट, पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज़ रखता हो, जो उसको उस देश में रहने की अनुमति देते हों। यह अनुच्छेद उन भारतीय नागरिकों को संबोधित करता है जो विभिन्न कारणों से भारत के बाहर रह रहे हैं, लेकिन उनका जन्म भारत में हुआ है। इसके द्वारा उन्हें भारतीय नागरिकता के अधिकार दिए जाते हैं, जो उन्हें अन्य भारतीय नागरिकों के समान होते हैं।

Article 9 of the Indian Constitution

अनुच्छेद 9: दोहरी नागरिकता की मनाही

अनुच्छेद 9 भारतीय संविधान में दोहरी नागरिकता की मनाही को संबोधित करता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति दूसरे देश की नागरिकता को स्वीकार करता है, तो वह अपनी भारतीय नागरिकता खो देता है। इसका उद्देश्य यह है कि एक व्यक्ति केवल एक देश की नागरिकता को ही स्वीकार कर सकता है, और दोहरी नागरिकता को नहीं रख सकता है।

दोहरी नागरिकता की मनाही:

किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य देश की नागरिकता को स्वीकार करने के बाद, उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाएगी। इस अनुच्छेद ने दोहरी नागरिकता की प्रवृत्ति को रोकने का प्रयास किया है, ताकि भारतीय नागरिक सिर्फ भारतीय नागरिक ही रहे और उन्हें अपनी भारतीय पहचान को संजीवित रखने का पूरा हक मिले।

इसका उल्लंघन अनुच्छेद 10 द्वारा भी विशेषतः प्रतिबंधित किया गया है, जो भारतीय नागरिकता के अधिकारों की निरंतरता को सुनिश्चित करता है।

Article 10 of the Indian Constitution

अनुच्छेद 10: भारतीय नागरिकता के अधिकारों की निरंतरता

अनुच्छेद 10 भारतीय संविधान में भारतीय नागरिकों के अधिकारों की निरंतरता को संबोधित करता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, भारतीय नागरिकों को संविधान के द्वारा दिए गए अधिकारों का संरक्षण निश्चित है, और किसी भी परिस्थिति में उनके अधिकारों को छीना नहीं जा सकता है।

भारतीय नागरिकता के अधिकारों की निरंतरता:

संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों के लिए उस व्यक्ति के संघर्ष के अधीन यदि उसे किसी दूसरे देश की नागरिकता अपनानी पड़े, तो भी उसकी भारतीय नागरिकता का विलोप नहीं होगा।

अनुच्छेद 10 का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों को उनके अधिकारों की निरंतरता और संरक्षण सुनिश्चित करना है। इसे भारतीय संविधान में अन्य अनुच्छेदों के साथ मिलाकर पढ़ना चाहिए, जैसे अनुच्छेद 5 से 9, जो नागरिकता के अधिकारों को विस्तार से संबोधित करते हैं।

Article 11 of the Indian Constitution

अनुच्छेद 11: संसद को नागरिकता से संबंधित कानून बनाने का अधिकार

अनुच्छेद 11 भारतीय संविधान में विभाजन और अधिग्रहण से संबंधित प्रमुख विवादों को संबोधित करता है। इस अनुच्छेद में उल्लिखित है कि भारत के संविधान में विभाजन के समय पाकिस्तान के अधिग्रहण से आये हुए कानूनी मुद्दों को संबोधित किया जाएगा। इसका मकसद स्पष्ट करना है कि विभाजन के पश्चात् उत्पन्न हुए कानूनी और अधिकृत मुद्दों को कैसे संभाला जाए।

विभाजन से संबंधित मुद्दों की संरचना:

इस अनुच्छेद के तहत, संविधान द्वारा स्थापित किए गए न्यायालयों और अन्य संगठनों के माध्यम से विभाजन के समय के अधिग्रहण और अन्य सम्बंधित मुद्दों को संबोधित किया जाएगा।यह अनुच्छेद भारत के संविधान में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो विभाजन के पश्चात् आये हुए कानूनी मुद्दों को संबोधित करता है और उन्हें सुलझाने के लिए उचित मार्गदर्शन प्रदान करता है।

इसमें उल्लेख किया गया है कि विभाजन के समय पाकिस्तान से आए हुए अधिग्रहण और अन्य सम्बंधित कानूनी मुद्दों को संबोधित किया जाना चाहिए, जो उन्हें सुलझाने के लिए विशेष तरीकों को निर्धारित करता है।

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