Ratan Tata Passed Away : भारतीय व्यापार जगत के लिए 1970 का दशक एक कठिन दौर था, जब सरकारी नियंत्रण की जकड़न में व्यापार छटपटा रहा था। उस समय के समाजवादी वातावरण में लाभ कमाना सामाजिक रूप से नैतिकता के खिलाफ माना जाता था, और एक साधारण मोटरसाइकिल खरीदने के लिए भी सरकारी अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती थी। ऐसे कठिनाइयों भरे समय में टाटा समूह ने अपनी कारोबारी यात्रा की शुरुआत की, जिसका नेतृत्व धीरे-धीरे रतन टाटा के हाथों में आया। रतन टाटा ने कठिन परिस्थितियों में भी व्यापारिक सफलता की अनोखी मिसाल पेश की।
नेल्को: चुनौतीपूर्ण शुरुआत और अनुभव
रतन टाटा (Ratan Tata Passed Away) ने अपनी करियर की शुरुआत 1971 में टाटा समूह की कंपनी नेल्को (नेशनल रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स) से की, जहां उन्हें पहली बार किसी प्रोजेक्ट का स्वतंत्र नेतृत्व करने का अवसर मिला। नेल्को ने चार साल तक अच्छा प्रदर्शन किया, परंतु आर्थिक मंदी और कर्मचारियों की समस्याओं के कारण कंपनी घाटे में चली गई। इस कठिनाई के बीच टाटा समूह की कई कपड़ा मिलों को भी तालाबंदी का सामना करना पड़ा। हालांकि, रतन टाटा ने अपने संयम, सूझबूझ और कड़ी मेहनत के जरिए इन समस्याओं का हल ढूंढने का प्रयास किया।
I am unable to accept the absence of Ratan Tata.
India’s economy stands on the cusp of a historic leap forward.
And Ratan’s life and work have had much to do with our being in this position.Hence, his mentorship and guidance at this point in time would have been invaluable.… pic.twitter.com/ujJC2ehTTs
— anand mahindra (@anandmahindra) October 9, 2024
टाटा समूह का परिवर्तन और विस्तार
1991 में, जब भारत में उदारीकरण की नीतियाँ लागू हुईं और विदेशी कंपनियों के लिए दरवाजे खोले गए, रतन टाटा ने इस अवसर का लाभ उठाया और समूह को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में बनाए रखा। इसके तहत, टाटा ने अनेक क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का अधिग्रहण किया। एक समय में टाटा समूह (Ratan Tata) का वैश्विक राजस्व 10% था, लेकिन रतन टाटा के नेतृत्व में यह बढ़कर 67% हो गया। टाटा समूह अब सीमेंट, टेक्सटाइल्स, सॉफ्टवेयर, टेलीकॉम और रिटेल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विस्तृत हो चुका था। इस तरह रतन टाटा ने भारतीय व्यवसाय को एक नई दिशा दी और विश्वस्तर पर भारत को एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया।
Ratan Tata Passed Away वैश्विक अधिग्रहण और आर्थिक समझ
रतन टाटा Ratan Tata Passed Away का अधिग्रहण की रणनीति में विश्वास था, जिसमें जगुआर और लैंड रोवर जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का अधिग्रहण भी शामिल था। यह व्यापारिक कदम भारतीय उद्योग को वैश्विक स्तर पर ले गया। हालांकि, आर्थिक दृष्टिकोण से यह सौदा भारी साबित हुआ और समूह को इसके लिए बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी। इसके बावजूद, टाटा समूह ने ग्लोबलाइजेशन के माध्यम से विश्व भर में अपने पैर जमाए, और इसका व्यापार 100 से अधिक देशों में फैल गया।
टाटा इंडिका और नैनो: आम लोगों के लिए कार
रतन टाटा (Ratan Tata Passed Away) ने भारतीय बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखकर टाटा इंडिका और टाटा नैनो जैसी कारों को लॉन्च किया। इंडिका को 1998 में लॉन्च किया गया, जिसने भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हलचल मचा दी। इसके बाद टाटा नैनो की शुरुआत एक ऐसे दृष्टिकोण से हुई जब उन्होंने एक स्कूटर पर चार लोगों का परिवार देखा। यह सोचकर कि एक सस्ती कार भारत के लोअर मिडिल क्लास के लिए एक वरदान साबित हो सकती है, उन्होंने टाटा नैनो का निर्माण किया। इस प्रयास ने उन्हें “कॉमन मैन की कार” का निर्माता बना दिया, भले ही यह प्रोजेक्ट वाणिज्यिक रूप से अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर सका।
समाज के प्रति टाटा की प्रतिबद्धता
रतन टाटा (Ratan Tata Passed Away) को केवल एक उद्योगपति के रूप में देखना उनके योगदान को कम आंकने जैसा है। वे सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति हमेशा संवेदनशील रहे। जानवरों के प्रति उनके स्नेह का एक उदाहरण मुंबई में अंतरराष्ट्रीय स्तर के पशु चिकित्सा अस्पताल का निर्माण है। समाज की जरूरतों को ध्यान में रखकर उन्होंने कई सामाजिक प्रोजेक्ट्स में निवेश किया, जिनमें सस्ती जल शुद्धिकरण प्रणाली, बजट होटल, और छोटे ट्रकों का निर्माण शामिल था।
भारतीय स्टार्टअप्स का समर्थन
रतन टाटा (Ratan Tata Passed Away) ने कई भारतीय स्टार्टअप्स को आर्थिक मदद देकर उनकी सफलता में योगदान दिया। इनमें ओला, पेटीएम और कई अन्य कंपनियाँ शामिल हैं। हालांकि, इस आर्थिक सहयोग की मात्रा का सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया गया है, परंतु यह स्पष्ट है कि रतन टाटा भारतीय उद्यमियों के प्रोत्साहन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

रतन टाटा (Ratan Tata Passed Away) की विरासत और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
रतन टाटा (Ratan Tata Passed Away) का जीवन भारतीय उद्योग और समाज के लिए एक प्रेरणादायक दृष्टांत है। उनकी सोच हमेशा अपने समाज और देश के विकास पर केंद्रित रही है। वे न केवल भारत में व्यापार का चेहरा बदलने में सफल रहे, बल्कि समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। उनका योगदान न केवल आर्थिक क्षेत्र तक सीमित है बल्कि समाज की अनेक जरूरतों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखाई देती है। टाटा समूह द्वारा उठाए गए सामाजिक कार्यों के कारण आने वाली पीढ़ियाँ उनकी विरासत को हमेशा स्मरण करेंगी।
रतन टाटा का जीवन एक ऐसे व्यक्ति का प्रतीक है जिसने अपने दृढ़ निश्चय, सामाजिक जिम्मेदारी और व्यावसायिक समझ के साथ भारत को एक नई ऊंचाई पर पहुँचाया।
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