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World Hepatitis Day Theme : विश्व हेपेटाइटिस दिवस (World Hepatitis Day) हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन हेपेटाइटिस, विशेष रूप से हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी, के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है। इस दिवस का उद्देश्य लोगों को हेपेटाइटिस के जोखिमों, निवारण, परीक्षण और उपचार के बारे में शिक्षित करना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी। 28 जुलाई का चयन इसलिए किया गया क्योंकि यह हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. बारूक ब्लमबर्ग का जन्मदिन है।

हेपेटाइटिस दिवस पर आमतौर पर विभिन्न जागरूकता अभियानों, नि:शुल्क परीक्षण शिविरों, सेमिनारों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है ताकि लोग इस बीमारी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें और इसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा सकें।

World Hepatitis Day 2024 Theme in india 

Table of Contents

History of World Hepatitis Day

विश्व हेपेटाइटिस दिवस का इतिहास और विकास महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिन वैश्विक स्वास्थ्य पर हेपेटाइटिस के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है। इसका इतिहास निम्नलिखित चरणों में देखा जा सकता है:

आरंभिक प्रयास:

हेपेटाइटिस के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रारंभिक प्रयास 2004 में शुरू हुए जब हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई संगठनों ने एक साथ मिलकर काम करना शुरू किया।

विश्व हेपेटाइटिस गठबंधन (WHA):

2007 में, विश्व हेपेटाइटिस गठबंधन (World Hepatitis Alliance) की स्थापना हुई, जिसने पहली बार 19 मई 2008 को विश्व हेपेटाइटिस दिवस का आयोजन किया। इस संगठन ने वैश्विक स्तर पर हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों का नेतृत्व किया।

WHO की मान्यता:

2010 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 28 जुलाई को आधिकारिक तौर पर विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मान्यता दी। यह दिन विशेष रूप से डॉ. बारूक ब्लमबर्ग के सम्मान में चुना गया, जिन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी।

World Hepatitis Day 2024 Theme

प्रत्येक वर्ष, WHO और WHA एक विशेष थीम के तहत इस दिवस को मनाते हैं, जो हेपेटाइटिस की रोकथाम, परीक्षण, और उपचार के महत्व पर केंद्रित होती है।

वैश्विक प्रयास:

विश्व हेपेटाइटिस दिवस के माध्यम से, विभिन्न देशों और संगठनों ने मिलकर हेपेटाइटिस की रोकथाम और उपचार के लिए वैश्विक प्रयासों को मजबूत किया है। जागरूकता अभियान, नि:शुल्क परीक्षण, और उपचार कार्यक्रमों के माध्यम से लाखों लोगों तक यह संदेश पहुँचाया जाता है।

इस प्रकार, विश्व हेपेटाइटिस दिवस का इतिहास जागरूकता बढ़ाने और हेपेटाइटिस के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे इस बीमारी से प्रभावित लोगों को बेहतर जीवन जीने का अवसर मिल सके।

World Hepatitis Day
World Hepatitis Day

Due to World Hepatitis Day

विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाने के कई महत्वपूर्ण कारण हैं। हेपेटाइटिस एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है और इसके प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। यहाँ कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं:

जागरूकता बढ़ाना:

हेपेटाइटिस के विभिन्न प्रकारों, विशेष रूप से हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी, के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए। हेपेटाइटिस एक साइलेंट किलर हो सकता है क्योंकि इसके लक्षण अक्सर देर से प्रकट होते हैं, जिससे इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

निवारण और परीक्षण:

लोगों को हेपेटाइटिस के जोखिम कारकों के बारे में जानकारी देना और उन्हें समय पर परीक्षण कराने के लिए प्रेरित करना। समय पर परीक्षण से बीमारी का जल्दी पता चल सकता है और उचित उपचार संभव हो सकता है।

उपचार और देखभाल:

हेपेटाइटिस के प्रभावी उपचार और देखभाल के बारे में जानकारी देना। लोगों को यह बताना कि हेपेटाइटिस बी और सी का उपचार संभव है और उचित उपचार से बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।

टीकाकरण:

हेपेटाइटिस बी के खिलाफ टीकाकरण के महत्व पर जोर देना। यह टीका हेपेटाइटिस बी से बचाव में अत्यंत प्रभावी है और इसे बचपन में ही दिया जा सकता है।

कलंक और भेदभाव को कम करना:

हेपेटाइटिस से जुड़े कलंक और भेदभाव को कम करना। इस बीमारी से पीड़ित लोगों को समाज में समर्थन और सहानुभूति की आवश्यकता होती है, न कि भेदभाव की।

वैश्विक स्वास्थ्य सुधार:

वैश्विक स्तर पर हेपेटाइटिस के प्रकोप को कम करने के लिए सामूहिक प्रयास करना। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य स्वास्थ्य संगठनों के सहयोग से इस बीमारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में योगदान देना।

नीतियों और कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देना:

सरकारों और स्वास्थ्य संगठनों को हेपेटाइटिस की रोकथाम, परीक्षण, और उपचार के लिए बेहतर नीतियाँ और कार्यक्रम विकसित करने के लिए प्रेरित करना।

इन कारणों के चलते, विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाना महत्वपूर्ण है ताकि हेपेटाइटिस के खिलाफ जागरूकता और कार्रवाई को बढ़ावा दिया जा सके और इस बीमारी से प्रभावित लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।

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World Hepatitis Day (Important causes of hepatitis)

हेपेटाइटिस कई कारणों से हो सकता है। यह एक गंभीर बीमारी है जो यकृत (लीवर) को प्रभावित करती है। हेपेटाइटिस के प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

वायरल संक्रमण:

हेपेटाइटिस के सबसे सामान्य कारणों में वायरल संक्रमण प्रमुख है। इसे पाँच प्रमुख वायरस के माध्यम से वर्गीकृत किया जाता है: हेपेटाइटिस ए (HAV), हेपेटाइटिस बी (HBV), हेपेटाइटिस सी (HCV), हेपेटाइटिस डी (HDV), और हेपेटाइटिस ई (HEV)।

अत्यधिक शराब का सेवन:

अत्यधिक शराब का सेवन यकृत को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे अल्कोहलिक हेपेटाइटिस हो सकता है।

विषाक्त पदार्थों और दवाओं का सेवन:

कुछ दवाएँ और विषाक्त पदार्थ यकृत को नुकसान पहुँचा सकते हैं, जिससे ड्रग-इंड्यूस्ड हेपेटाइटिस हो सकता है।

आनुवंशिक विकार:

कुछ आनुवंशिक विकार, जैसे कि विल्सन डिजीज और हेमोक्रोमैटोसिस, भी हेपेटाइटिस का कारण बन सकते हैं।

ऑटोइम्यून विकार:

ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस एक स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से यकृत कोशिकाओं पर हमला करती है।

संक्रमित सुइयों का उपयोग:

हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमित रक्त से फैल सकते हैं, जैसे कि संक्रमित सुइयों का उपयोग करने से। यह अक्सर उन लोगों में देखा जाता है जो अवैध ड्रग्स का उपयोग करते हैं।

असुरक्षित यौन संबंध:

हेपेटाइटिस बी और सी यौन संपर्क के माध्यम से भी फैल सकते हैं, विशेष रूप से असुरक्षित यौन संबंधों के दौरान।

संक्रमित भोजन और पानी:

हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित भोजन और पानी के सेवन से फैलते हैं। यह मुख्यतः ऐसे क्षेत्रों में होता है जहाँ स्वच्छता और जल आपूर्ति की स्थिति खराब होती है।

मां से बच्चे में संक्रमण:

हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण गर्भवती महिलाओं से उनके बच्चों को हो सकता है।

इन कारणों के आधार पर, हेपेटाइटिस को रोकने के लिए उचित स्वच्छता बनाए रखना, सुरक्षित यौन संबंध रखना, शराब का सेवन नियंत्रित करना, और आवश्यक टीकाकरण कराना महत्वपूर्ण है। साथ ही, संक्रमित व्यक्तियों का समय पर परीक्षण और उपचार भी आवश्यक है।

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Ways to Prevent Hepatitis

हेपेटाइटिस से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

1. टीकाकरण:

हेपेटाइटिस ए और बी के लिए टीकाकरण: ये टीके हेपेटाइटिस ए और बी वायरस से बचाने में अत्यंत प्रभावी हैं। सभी बच्चों, उच्च जोखिम वाले वयस्कों, और स्वास्थ्य कर्मियों को इन टीकों का सेवन करना चाहिए।

2. सुरक्षित यौन संबंध:

कंडोम का उपयोग: असुरक्षित यौन संबंधों से बचने के लिए कंडोम का उपयोग करें। इससे हेपेटाइटिस बी और सी के संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

3. सुइयों और उपकरणों का सुरक्षित उपयोग:

स्वच्छ सुइयों का उपयोग: सुई और अन्य चिकित्सा उपकरणों का पुनः उपयोग न करें। टैटू या पियर्सिंग के लिए केवल प्रमाणित और स्वच्छ उपकरणों का उपयोग करें।

4. स्वच्छता बनाए रखना:

हाथ धोना: खाने से पहले और शौचालय जाने के बाद साबुन और पानी से हाथ धोएं। यह हेपेटाइटिस ए और ई के संक्रमण को रोकने में मदद करता है।

दूषित पानी और भोजन से बचना: केवल स्वच्छ और सुरक्षित पानी पिएं। संदिग्ध पानी को उबालकर या फ़िल्टर करके उपयोग करें। खाने से पहले फल और सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं।

5. अत्यधिक शराब का सेवन न करें:

शराब का सेवन सीमित करें: अत्यधिक शराब का सेवन यकृत को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे अल्कोहलिक हेपेटाइटिस हो सकता है।

6. दवाओं का सुरक्षित उपयोग:

दवाओं का सही तरीके से उपयोग: किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न करें और दवाओं का दुरुपयोग न करें।

7. स्वास्थ्य सेवा में सावधानी:

स्वच्छ चिकित्सा प्रक्रियाएं: चिकित्सा प्रक्रियाओं में उपयोग होने वाले उपकरणों की स्वच्छता सुनिश्चित करें। अस्पतालों और क्लीनिकों में सुरक्षा मानकों का पालन करें।

8. नियमित स्वास्थ्य परीक्षण:

नियमित जाँच: हेपेटाइटिस बी और सी के लिए नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराएं, विशेष रूप से यदि आप उच्च जोखिम वाली श्रेणियों में आते हैं।

9. रक्तदान के समय सावधानी:

सुरक्षित रक्तदान: रक्तदान करते समय सुनिश्चित करें कि रक्त सुरक्षित और संक्रमित नहीं है।

10. गर्भवती महिलाओं की जाँच:

गर्भवती महिलाओं की जाँच: गर्भवती महिलाओं का हेपेटाइटिस बी और सी के लिए परीक्षण कराएं ताकि बच्चे में संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सके।
इन उपायों का पालन करके आप हेपेटाइटिस के संक्रमण से बच सकते हैं और अपने यकृत को स्वस्थ रख सकते हैं।

भारत में हेपेटाइटिस का क्या स्तर हैं? What are the levels of hepatitis in India?

भारत में हेपेटाइटिस का स्तर गंभीर है और यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। हेपेटाइटिस वायरस के विभिन्न प्रकारों (A, B, C, D, और E) के कारण होता है, जिनमें से प्रत्येक का प्रभाव और प्रसार भिन्न होता है।

हेपेटाइटिस A और E: ये वायरस अक्सर दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलते हैं। इनसे होने वाले संक्रमण अधिकतर तीव्र (acute) होते हैं और इनका उपचार संभव होता है।

हेपेटाइटिस B और C: ये वायरस मुख्यतः रक्त और अन्य शारीरिक द्रवों के माध्यम से फैलते हैं। ये संक्रमण अक्सर दीर्घकालिक (chronic) हो सकते हैं और गंभीर जिगर की बीमारियों, जैसे सिरोसिस और जिगर का कैंसर, का कारण बन सकते हैं।

हेपेटाइटिस B:

प्रसार: हेपेटाइटिस B का संक्रमण व्यापक है। भारत में इसकी प्रसार दर लगभग 2-5% है।

निवारण: हेपेटाइटिस B के लिए टीका उपलब्ध है, जो बचाव में प्रभावी है।

हेपेटाइटिस C:

प्रसार: हेपेटाइटिस C की प्रसार दर भारत में लगभग 1-1.5% है। इसका उपचार उपलब्ध है, लेकिन अभी तक इसके लिए कोई टीका नहीं है।

निवारण: सुरक्षित रक्त संक्रमण, स्वच्छ सुइयों का उपयोग और सुरक्षित यौन संबंधों से इसका प्रसार रोका जा सकता है।

उपाय और प्रयास:

टीकाकरण: हेपेटाइटिस B के लिए टीकाकरण कार्यक्रम का संचालन।

जागरूकता अभियान: लोगों को हेपेटाइटिस के बारे में शिक्षित करना और निवारण के तरीकों के बारे में जानकारी देना।

स्वास्थ्य सेवाएं: संक्रमित व्यक्तियों के लिए इलाज और देखभाल सेवाएं प्रदान करना।

भारत सरकार और विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों द्वारा हेपेटाइटिस की रोकथाम और उपचार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जागरूकता, समय पर निदान, और उपचार से हेपेटाइटिस के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

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भारत में हेपेटाइटिस के लिए काम करने वाले NGOs NGOs working for hepatitis in India

भारत में कई गैर-सरकारी संगठन (NGO) हैं जो हेपेटाइटिस के प्रति जागरूकता फैलाने, रोकथाम, और उपचार के लिए काम कर रहे हैं।

इनमें से कुछ प्रमुख संगठन निम्नलिखित हैं:

लिवर फाउंडेशन, पश्चिम बंगाल:

यह संगठन लिवर संबंधित बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने और मरीजों को सहायता प्रदान करने के लिए काम करता है।

इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायिलरी साइंसेज (ILBS):

यह दिल्ली स्थित एक प्रमुख संगठन है जो लिवर और बायिलरी बीमारियों के शोध, शिक्षा, और उपचार के लिए काम करता है।

द लिवर केयर फाउंडेशन:

यह संगठन लिवर से संबंधित बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने और जरूरतमंद मरीजों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए काम करता है।

हेपेटाइटिस फाउंडेशन ऑफ इंडिया:

यह संगठन हेपेटाइटिस की रोकथाम, प्रबंधन और उपचार के लिए काम करता है, साथ ही जागरूकता अभियानों का संचालन करता है।

वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर्स (WHP):

यह संगठन ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में हेल्थकेयर सेवाएं प्रदान करने के लिए काम करता है, जिसमें हेपेटाइटिस बी और सी की स्क्रीनिंग और उपचार शामिल है।
इन संगठनों के अलावा, कई अन्य स्थानीय और क्षेत्रीय एनजीओ भी हैं जो हेपेटाइटिस के प्रति जागरूकता बढ़ाने और मरीजों को सहायता प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं।

आप इन संगठनों की वेबसाइट्स पर जाकर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और कैसे वे हेपेटाइटिस के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे रहे हैं, यह जान सकते हैं।

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