Padma Bhushan Sumitra Nandan Pant: 20 मई को हिंदी साहित्य में छायावादी युग के प्रमुख कवि सुमित्रानंदन पंत का 124वां वर्षगांठ मनाया जायेगा। आइये आज हम आपलोगो को उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां से रुबरु करवाते है।
जीवन परिचय(Sumitra Nandan Pant’s Life introduction)
हिंदी साहित्य में छायावादी युग के प्रमुख कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1968 को कौसानी बागेश्वर में हुआ था। जन्म के 6 घंटे बाद ही उनकी मां का निधन हो गया। उनका लालन-पालन की दादी ने किया। सुमित्रानंदन पंत का मूल नाम गोसाई दत्त तथा उनकी माता का नाम सरस्वती देवी और पिता का नाम गंगा दत्त पंत था।
उन्हें अपनी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा तथा दसवीं की परीक्षा काशी के क्वींस कॉलेज से पूर्ण की। इसके पश्चात उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद के अनुसार कॉलेज में पढ़ने गए। वे गांधी जी के असहयोग आंदोलन से इतना प्रभावित हुए कि पढाई छोड़कर आंदोलन में शामिल हो गए।
Remembering the great Hindi #poet #Sumitra_nandan_Pant on his birth anniversary. Inspired by nature & people, Nand’s poetry brought out the beauty & flavor of rural India. For his work, he was awarded the Sahitya Academy award, Jnanpith Award & Padma Bhushan. #sumitranandanpant pic.twitter.com/MLfKWdEGsZ
— Om Prakash Chaudhary (@OPChaudhary071) May 20, 2021
चौथी कक्षा से ही उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया था। परंतु काव्य चेतना का विकास कॉलेज में प्रारंभ हुआ। 1938 में उन्होंने रूपाभ पत्रिका निकाली और 1950 से 1957 तक वे आकाशवाणी के हिंदी परामर्शदाता भी रहे। 28 सितंबर 1977 को सुमित्रानंदन पंत की मृत्यु हो गई।
साहित्यिक परिचय(Sumitra Nandan Pant’s literary introduction)
कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने सात वर्ष की उम्र से ही कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था। प्रकृति से लगाव होने के कारण इन्हें प्रकृति का सुकुमार भी कहां जाता है। 1928 में उनका प्रसिद्ध काव्य संकलन पल्लव प्रकाशित हुआ था। चितम्बरा उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार कला और बूढ़ा चांद काव्य संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।
हिंदी साहित्य सेवा के लिए उन्हें पद्म भूषण ,ज्ञानपीठ साहित्य अकादमी तथा सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार जैसे उच्च श्रेणी के सम्मानों से अलंकृत किया गया। उनके जीवनकाल में 28 पुस्तकें प्रकाशित हुई। उन्होंने ज्योत्सना नामक एक रूपक की भी रचना की। उन्होंने आकाशवाणी के मुख्य निर्माता के पद पर भी कार्य किया।
कृतियां(Sumitra Nandan Pant’s creations)
सुमित्रानंदन पंत की रचनाएं इस प्रकार से काव्य रचनाएं वाणी, ग्रंथि, पल्लव, गुंजन ,युगांत, युगवाणी , ग्राम्या, स्वर्णधूलि, उत्तरा, अंतिमा, पल्लविनी, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चांद, लोकायतन, चिदंबरा, तारापथ आदि।
सुमित्रानंदन पंत ने हार उपन्यास की भी रचना की। सुमित्रानंदन पंत ने पांच कहानियां कहानी संग्रह की भी रचना की। आत्मकथात्मक संस्मरण, 60 वर्ष ,एक रेखांकन यह सभी सुमित्रानंदन पंत की रचनाएं थी।
भाषा-शैली(Sumitra Nandan Pant’s language style)
वह कवि पंत जी का भाषा पर असाधारण अधिकार हैं। भाव और विषय के अनुकूल मार्मिक शब्दावली उनकी लेखनी से सहज प्रवाहित होती हैं। उनकी रचनाओं में भावनात्मक और आलंकारिक आदि शैली का प्रयोग हुआ हैं। इसके साथ ही उनकी भाषा-शैली में मधुरता और कोमलता का भाव भी हैं।
साहित्य में स्थान(Sumitra Nandan Pant’s place in literature)
छायावादी युग के प्रमुख कवि सुमित्रानंदन पंत जी स्थान हिंदी साहित्य के विशिष्ट कवियों में आता है। इन्हें हिंदी साहित्य में प्रकृति का सुकुमार एवं युग परिवर्तक कवि माना जाता है। उनके द्वारा साहित्य में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे।
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