World Day Against Child Labour 2024 :- पूरी दुनिया के लिए बाल श्रम की समस्या एक चुनौती बनती जा रही है। विभिन्न देशों द्वारा बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाने के लिए समय-समय पर विभिन्न प्रकार के कदम उठाए गए हैं।
इस क्रम में दुनिया भर में बाल श्रम की क्रूरता को समाप्त करने के लिए हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। बाल श्रम को काबू में लाने के लिए विभिन्न देशों द्वारा प्रयास किए जाने के बाद भी इस स्थिति में सुधार नहीं होना चिंतनीय है।
महत्वपूर्ण बिंदु World Day Against Child Labour 2024 important point
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा वर्ष 2002 में की गई थी।
इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक सीमा पर ध्यान केंद्रित करना और बाल श्रम को पूरी तरह से खत्म करने के लिए आवश्यक प्रयास करना है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चलता है कि बाल श्रम को दूर करने में हम अभी बहुत पीछे हैं।
वर्ष 2016 के आईएलओ(ILO) डेटा से पता चलता है कि हम विश्व को बाल श्रम से मुक्त करने के मामले में अभी मीलों दूर है।
ILO की रिपोर्ट के अनुसार बाल श्रम के वैश्विक अनुमान, परिणाम और रुझान 2012-16 में कहा गया है कि पांच और 17 वर्ष की उम्र के बीच 152 मिलियन बच्चों को अवांछनीय परिस्थितियों में बाल श्रम करने पर मजबूर किया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट Report released by International Labor Organization
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में बाल श्रम में शामिल 152 मिलियन बच्चों में से 73 मिलियन बच्चे खतरनाक काम करते हैं।
खतरनाक श्रम में मैनुअल सफाई निर्माण कृषि खदानों कारखानों तथा फेरी वाला है एवं घरेलू सहायिका इत्यादि के रूप में काम करना शामिल है।
ILO के अनुसार इस तरह के श्रम बच्चों के स्वास्थ्य सुरक्षा और नैतिक विकास को खतरे में डालते हैं इतना ही नहीं इसके कारण बच्चे सामान्य बचपन और उचित शिक्षा से भी वंचित रह जाते हैं।
खतरनाक बाल श्रम के कारण दुनिया भर में 45 मिलीयन लड़के और 28 मिलियन लड़कियां प्रभावित है।
हाल के वर्षो में खतरनाक बाल श्रम में शामिल पांच से 11 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या बढ़कर 19 मिलियन हो गई है।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार According to United Nations data
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 541 मिलियन युवा श्रमिकों में (11 साल से 24 साल ) में 37 मिलियन बच्चे हैं जो खतरनाक बाल श्रम का काम करते हैं।
यह विश्व कुल श्रमिक क्षमता का 15 प्रतिशत हैं।
इन श्रमिकों को कार्य करने के दौरान अन्य श्रमिकों की तुलना में कि 40% अधिक घातक चोटें लगती हैं।
सेव द चिल्ड्रन रिपोर्ट के अनुसार According to the Save the Children report
इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के आधे से अधिक बच्चों को गरीबी संघर्ष और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव का खतरा हैं।
यह बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं यहां तक कि स्वास्थ्य तथा भोजन जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रहते हैं।
इन बच्चों से उनकी मासूमियत छीन ली जारी है, और उनका बचपन एवं भविष्य जिसका उन्हें हक है वह भी छीन लिया गया है।
बाल श्रम आमतौर पर मजदूरी के भुगतान या बिना भुगतान के साथ बच्चों से कार्य कराना है।
बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं यह एक वैश्विक घटना है।
बाल श्रम के कारण World Day Against Child Labour 2024 due to child labor
यूनिसेफ के अनुसार, बच्चों का नियोजन इसलिए किया जाता हैं कि उनका आसानी से शोषण किया जा सकता है।
बच्चे अपनी उम्र के अनुरूप जिन कारणों से कठिन काम करते हैं उनमें आम तौर पर गरीबी पहला कारण है।
इसके अलावा जनसंख्या विस्फोट, सस्ता श्रम उपलब्ध, कानूनों का लागू नहीं होना और बच्चों को स्कूल भेजने के प्रति अनिच्छुक माता-पिता जैसे अन्य कारण भी है।
भारत और बाल श्रम
भारत में आदिकाल से ही बच्चों को ईश्वर का रूप माना हैं, लेकिन वर्तमान परिदृश्य इस सोच से काफी भिन्न है।
बच्चों का भविष्य अंधकार में होता जा रहा है, गरीब बच्चे स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने की उम्र में मजदूरी कर रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार एवं राज्य सरकारों की इस दिशा में की गई पहल सराहनीय है।
उनके द्वारा बच्चों के उत्थान के लिए अनेक योजनाओं को प्रारंभ किया गया है।
Our Sairam NSS organized a resolute🫳 pledge on the World Day Against Child Labour, held on Friday, 9th February 2024. ✨This impactful event unveiled the menacing wave🧒 of threats looming over the sanctity of 👧childhood innocence.@sairamceo pic.twitter.com/xhTbX7qC2b
— NSS SAIRAM (@NSSSAIRAM) February 10, 2024
बाल श्रम और भारतीय संविधान Child Labor and Indian Constitution
संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप भारत का संविधान में मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों की विभिन्न धाराओं के माध्यम से कहता है :-
14 साल के कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्ट्री या खदान में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा और न ही किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जाएगा।
राज्य अपनी नीतियां इस तरह निर्धारित करेंगे कि श्रमिकों पुरुषों और महिलाओं का स्वास्थ्य तथा उनकी क्षमता सुरक्षित रह सके तथा बच्चों की कम उम्र का शोषण न हो एवं स्थित आवश्यक्ताओं की पूर्ति वे अपनी उम्र शक्ति के प्रतिकूल काम में प्रवेश करें
बच्चों को स्वस्थ तरीके से स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिति में विकास के अवसर तथा सुविधाएं दी जाएंगी और बचपन व जवानी को नैतिक वह बहुत अधिक दुरुपयोग से बचाया जाएगा।
संविधान लागू होने के 10 साल के भीतर राज्य 14 वर्ष तक की उम्र के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रयास करेंगे।
बाल श्रम एक एक ऐसा विषय है जिस पर संघीय व राज्य सरकारे दोनों कानून बना सकती हैं।
अन्य प्रयास जो इस संदर्भ में समय-समय पर हुए हैं उनमें प्रमुख Other efforts which have been made from time to time in this regard include
बाल श्रम कानून 1986 :- यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी अवैध पेशे और 57 प्रक्रियाओं में जिन्हे बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए हितकर माना गया है, नियोजन को निषिद्ध बनाता है इन पेशे और प्रक्रियाओं का उल्लेख कानून की अनुसूची में हैं।
फैक्ट्री कानून 1948 :- यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नियोजन को निषिद्ध करता हैं। 15 से 18 वर्ष तक के किशोर किसी फैक्टरी में तभी नियुक्त किए जा सकते हैं जब उनके पास किसी अधिकृत चिकित्सक का फिटनेस प्रमाणपत्र हो।
इस कानून में 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए हर दिन साढ़े चार घंटे की कार्य अवधि तय की गई है और उनके रात में काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
भारत के बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई में महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप 1996 में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से आया जिसमें संघीय और राज्य सरकारों को खतरनाक प्रक्रिया और पेशों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने और गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।
न्यायालय ने यह आदेश दिया था कि एक बाल श्रम पुनर्वास सह कल्याण कोष की स्थापना की जाये, जिसमें बाल श्रम कानून का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं के अंशदान का उपयोग हो।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस थीम World Day Against Child Labour 2024 Theme
बाल श्रम की समस्या का मूल है निर्धनता और अशिक्षा। जब तक देश में भूखमरी रहेगी तथा देश के नागरिक शिक्षित नहीं होंगे, तब तक इस प्रकार की समस्या ज्यों की त्यों बनी रहेंगी।
देश में बालश्रमिकों की समस्या के समाधान के लिए सामाजिक प्रशासनिक तथा व्यक्तिगत सभी स्तरों पर प्रयास किया जाना आवश्यक है।
यह आवश्यक में कुछ विशिष्ट योजनाएं बनाई जाएं तथा उन्हें कार्यान्वित किया जाए जिससे लोगों कि आर्थिक स्तर मजबूत हो सके और उन्हें अपने बच्चों को बाल श्रम के लिए विवश न करना पड़े।
प्रशासनिक स्तर पर सख्त से सख्त निर्देशों की आवश्यकता है जिससे बाल श्रम को रोका जा सके।
व्यक्तिगत स्तर पर बाल श्रम की समस्याका निदान हम सभी का नैतिक दायित्व है इसके प्रति हमें जागरूक होना चाहिए तथा इसके विरोध में सदैव आगे आना चाहिए।
बाल श्रम की समस्या के निदान के लिए सामाजिक क्रांति आवश्यक है ताकि लोग अपने निहित स्वार्थों के लिए देश के इन भावी निर्माताओं व कर्णधारों के भविष्य पर प्रश्न चिह्न ना लगा सकें।
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