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History of Kedarnath TempleHistory of Kedarnath Temple

History of Kedarnath Temple : केदारनाथ उत्तराखंड राज्य में स्थित है, जो भारत के उत्तरी भाग में है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित है और समुद्र तल से लगभग 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर है। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह स्थान हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है

केदारनाथ का इतिहास और पौराणिक महत्व: History and mythological significance of Kedarnath:

पौराणिक कथा: केदारनाथ का उल्लेख महाभारत और पुराणों में मिलता है। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव की आराधना की थी। भगवान शिव पांडवों से नाराज थे और उनसे बचने के लिए केदारनाथ में छिप गए थे।

भगवान शिव ने यहां एक बैल का रूप धारण किया और भूमिगत हो गए, लेकिन भीम ने उनकी पूंछ या पिछला हिस्सा पकड़ लिया और जबरदस्ती बाहर निकाला। उस समय से यहां शिवलिंग की पूजा की जाती है।

आदि शंकराचार्य: 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने केदारनाथ मंदिर की स्थापना की थी। उन्होंने ही यहाँ के वर्तमान मंदिर का निर्माण करवाया था। कहा जाता है कि उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों में चार मठों (मठ) की स्थापना की और हिंदू धर्म के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मंदिर का निर्माण: केदारनाथ मंदिर का निर्माण पत्थरों से किया गया है और यह नागर शैली में बना हुआ है। इसका निर्माण शैली और स्थान इसे अद्वितीय बनाता है। यहाँ की प्रतिमा भगवान शिव की स्वयंभू (स्वतः उत्पन्न) प्रतिमा मानी जाती है।

2013 की प्राकृतिक आपदा: जून 2013 में केदारनाथ में भारी बाढ़ और भूस्खलन के कारण व्यापक तबाही हुई थी। इस आपदा में हजारों लोग मारे गए और मंदिर परिसर को भी काफी नुकसान हुआ। हालांकि, मंदिर की मुख्य संरचना सुरक्षित रही और इसे बाद में फिर से बहाल किया गया।

यात्रा और पहुँच: केदारनाथ धाम (History of Kedarnath Temple) तक पहुँचने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी की कठिन पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह यात्रा हिमालय की ऊँची पहाड़ियों और कठिन रास्तों से होकर गुजरती है। केदारनाथ धाम हर साल अक्षय तृतीया से कार्तिक पूर्णिमा (अप्रैल-मई से नवंबर) तक खुला रहता है, जब यहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। इस मंदिर की पौराणिक कथाएँ और धार्मिक महत्त्व अति प्रसिद्ध हैं। यहाँ कुछ प्रमुख पौराणिक कथाएँ दी जा रही हैं:

History of Kedarnath Temple in hindi

महाभारत और पांडवों की कथा: Story of Mahabharata and Pandavas:

महाभारत युद्ध के बाद, पांडव अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव की खोज में थे। शिव जी उनसे नाराज थे और नहीं मिलना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बैल का रूप धारण कर लिया और केदारनाथ क्षेत्र में छिप गए। पांडवों ने शिव को खोजते हुए वहां पहुंच गए। भीम ने दो पहाड़ियों के बीच अपने पैरों को फैलाकर बैल को पकड़ने की कोशिश की।

बैल शिव जी ने स्वयं को पांच हिस्सों में विभाजित कर दिया। केदारनाथ में उनकी पीठ का हिस्सा प्रकट हुआ, और बाकी हिस्सों के रूप में भगवान शिव के चार अन्य रूप (तुङ्गनाथ, रुद्रनाथ, मघ्य महेश्वर, और कल्पेश्वर) प्रकट हुए।

केदार का नामकरण: Naming of Kedar:

केदारनाथ का नाम ‘केदार’ ऋषि के नाम पर पड़ा है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, केदार ऋषि ने यहाँ तपस्या की थी और शिव जी ने उन्हें वरदान दिया था।

जल प्रलय और मंदिर का रहस्य: History of Kedarnath Temple Deluge and mystery of the temple:

यह माना जाता है कि केदारनाथ का मंदिर कई बार जल प्रलय और प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर चुका है, लेकिन इसके बावजूद मंदिर को कोई हानि नहीं हुई। यह भगवान शिव की अद्भुत कृपा का प्रतीक माना जाता है।

अगस्त्य मुनि की कथा: History of Kedarnath Temple Story of Agastya Muni

एक अन्य कथा के अनुसार, अगस्त्य मुनि ने भी केदारनाथ क्षेत्र में तपस्या की थी। भगवान शिव ने उनके तप से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और यह क्षेत्र शिव का प्रिय स्थान बन गया।

गंगा का अवतरण: Descent of Ganga:

ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी का एक धारा यहां से होकर बहती है, जिसे मंदाकिनी कहा जाता है। यह भी मान्यता है कि गंगा की एक धारा भगवान शिव के जटाओं से निकलकर केदारनाथ में प्रवाहित होती है।

केदारनाथ मंदिर की ये पौराणिक कथाएँ इसे धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती हैं, और हर साल लाखों भक्त यहां तीर्थयात्रा पर आते हैं।

केदारनाथ न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अपनी अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता और हिमालय की रमणीयता के कारण भी आकर्षण का केंद्र है।

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