Thu. Nov 21st, 2024
Bank Nationalization Day 2024 ThemeBank Nationalization Day 2024 Theme

Bank Nationalization Day 2024 Theme : बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस भारत में एक महत्वपूर्ण दिन है जो हर साल 19 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन, 1969 में, भारत सरकार ने 14 प्रमुख निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था। इसका मुख्य उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं को देश के अधिकतर हिस्सों तक पहुँचाना और आर्थिक असमानता को कम करना था।

Table of Contents

राष्ट्रीयकरण के मुख्य उद्देश्य थे:

वित्तीय समावेशन: बैंकिंग सेवाओं को ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक पहुँचाना।

कृषि और छोटे उद्योगों को समर्थन: किसानों और छोटे उद्योगों को क्रेडिट सुविधाएं प्रदान करना।

आर्थिक विकास: देश के सभी हिस्सों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना।

बैंकिंग सेक्टर की स्थिरता: बैंकों की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करना।

बैंक राष्ट्रीयकरण के बाद, बैंकिंग सेवाओं का विस्तार हुआ और देश के कई गरीब और पिछड़े क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाएँ पहुँचीं, जिससे आर्थिक विकास और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला।

बैंक राष्ट्रीयकरण के मुख्य उद्देश्य विस्तृत जानकारी

1. वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion)

उद्देश्य: बैंकिंग सेवाओं को उन लोगों तक पहुँचाना जो पहले इन सेवाओं से वंचित थे, विशेषकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में।

विस्तार: पहले, बैंक मुख्य रूप से शहरों और बड़े नगरों में केंद्रित थे, जिससे ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों के लोग बैंकिंग सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाते थे। राष्ट्रीयकरण के बाद, बैंकों की शाखाओं का विस्तार देश के विभिन्न हिस्सों में किया गया, जिससे अधिक से अधिक लोग बैंकिंग सेवाओं से जुड़ सके।

2. कृषि और छोटे उद्योगों को समर्थन (Support to Agriculture and Small Industries)

उद्देश्य: किसानों, कुटीर उद्योगों, और छोटे व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान करना ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।

विस्तार: राष्ट्रीयकरण के बाद, बैंकों ने कृषि ऋण, छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए ऋण, और स्वरोजगार योजनाओं के तहत ऋण उपलब्ध कराने पर अधिक ध्यान दिया।
इससे किसानों और छोटे उद्यमियों को अपने व्यवसाय को बढ़ाने और आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिली।

3. आर्थिक विकास (Economic Development)

उद्देश्य: देश के सभी हिस्सों में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना और समान आर्थिक विकास सुनिश्चित करना।

विस्तार: बैंकों ने उन क्षेत्रों में निवेश करना शुरू किया जो आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए थे। विभिन्न विकास योजनाओं और परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई, जिससे आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई और रोजगार के अवसर भी बढ़े।

4. बैंकिंग सेक्टर की स्थिरता (Stability of Banking Sector)

उद्देश्य: बैंकों की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करना ताकि वे देश के आर्थिक विकास में मजबूत भूमिका निभा सकें।

विस्तार: राष्ट्रीयकरण से पहले, कई बैंक वित्तीय संकट का सामना कर रहे थे और उनकी स्थिरता पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ था। राष्ट्रीयकरण के बाद, सरकार ने बैंकों को मजबूत वित्तीय स्थिति में लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए, जिससे बैंकों की स्थिरता और विश्वसनीयता में वृद्धि हुई।

5. सामाजिक न्याय (Social Justice)

उद्देश्य: बैंकिंग सेवाओं के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करना और आर्थिक असमानता को कम करना।

विस्तार: गरीब और वंचित वर्गों को बैंकिंग सेवाओं का लाभ पहुंचाने के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की गई। महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति, और अन्य पिछड़े वर्गों को विशेष वित्तीय सहायता प्रदान की गई, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके।

6. पूंजी का व्यापक वितरण (Wider Distribution of Capital)

उद्देश्य: पूंजी का व्यापक और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना ताकि समाज के सभी वर्गों को आर्थिक लाभ मिल सके।

विस्तार: बैंकों ने जमा और ऋण सुविधाओं को समाज के सभी वर्गों तक पहुँचाया, जिससे पूंजी का व्यापक वितरण हुआ। इससे आर्थिक असमानता को कम करने में मदद मिली और समाज के सभी वर्गों को वित्तीय संसाधनों का लाभ मिला।

Bank Nationalization Day 2024 Theme

इस दिन का महत्व और उद्देश्य हमेशा से ही वित्तीय समावेशन, ग्रामीण और कमजोर वर्गों तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच, और बैंकिंग क्षेत्र के सुधार बैंक। राष्ट्रीयकरण दिवस पर हर साल बैंकिंग क्षेत्र में सुधार और वित्तीय समावेशन के लक्ष्यों को रेखांकित किया जाता हैं।

Bank Nationalization Day 2024 Theme
Bank Nationalization Day 2024 Theme

राष्ट्रीयकरण से पहले बैंको की स्थिति Situation of banks before nationalization

1969 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने 14 प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने का निर्णय लिया, जिससे बैंकिंग प्रणाली को पुनर्गठित किया गया और इसे व्यापक जनसंख्या के लिए अधिक सुलभ और लाभकारी बनाया गया।

बैंक राष्ट्रीयकरण से पहले भारतीय बैंकिंग प्रणाली की स्थिति काफी चुनौतिपूर्ण और असंतोषजनक थी। मुख्यतः निम्नलिखित समस्याएं और स्थितियां देखी जा सकती थीं:

1. सीमित शाखाओं का नेटवर्क

बैंक ज्यादातर बड़े शहरों और नगरों में केंद्रित थे।

ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की पहुँच बहुत कम थी, जिससे वहां की जनता बैंकिंग सेवाओं से वंचित थी।

2. कृषि और छोटे उद्योगों को अपर्याप्त समर्थन

बैंकों द्वारा कृषि और छोटे उद्योगों को बहुत कम ऋण प्रदान किया जाता था।

किसान और छोटे उद्यमी वित्तीय सहायता के लिए साहूकारों पर निर्भर रहते थे, जो ऊंची ब्याज दरों पर ऋण देते थे।

Tata Curvv EV Launch : हुंडई का मार्किट तोड़ने आ रही हैं टाटा की ये धासु कार

3. आर्थिक असमानता

बैंकिंग सेवाएं मुख्यत धनी और शहरी वर्ग तक सीमित थीं।

निम्न आय वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बैंकिंग सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाते थे, जिससे आर्थिक असमानता बढ़ रही थी।

4. बैंकिंग सेक्टर की स्थिरता पर संकट

कई बैंक वित्तीय संकट और अस्थिरता का सामना कर रहे थे।

कुछ बैंकों की खराब प्रबंधन और वित्तीय अनियमितताओं के कारण बंद होने की स्थिति आ गई थी, जिससे जमाकर्ताओं का विश्वास घट रहा था।

5. निजी बैंकों का प्रभुत्व

अधिकांश बैंक निजी स्वामित्व में थे और उनके प्राथमिक उद्देश्य मुनाफा कमाना था।

सार्वजनिक हित की बजाय निजी लाभ को प्राथमिकता दी जाती थी, जिससे समाज के वंचित वर्गों को बैंकिंग सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता था।

6. सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों की उपेक्षा

बैंकों का ध्यान मुख्यत व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्रों पर केंद्रित था।

समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों की वित्तीय जरूरतों की अनदेखी की जाती थी।

7. वित्तीय समावेशन का अभाव

देश की बड़ी आबादी बैंकिंग सेवाओं से अछूती थी।

वित्तीय समावेशन की कमी के कारण कई लोग औपचारिक वित्तीय प्रणाली का हिस्सा नहीं बन पा रहे थे।

8. उधार देने में असमानता

बैंकिंग प्रणाली में उधार देने के मामले में असमानता थी। बड़े व्यापारिक घरानों और उद्योगपतियों को अधिकतम वित्तीय सहायता मिलती थी, जबकि छोटे व्यापारी, किसान और गरीब लोग वित्तीय सहायता से वंचित रहते थे।

इन सब कारणों से, भारतीय बैंकिंग प्रणाली में सुधार की आवश्यकता थी। 

राष्ट्रीयकरण के बाद कुछ प्रमुख बैंक Some major banks after nationalization

बैंक राष्ट्रीयकरण के बाद जिन प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, उनमें से कुछ प्रमुख बैंक निम्नलिखित हैं:

1969 में राष्ट्रीयकृत बैंक

  • बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India)
  • पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank)
  • केनरा बैंक (Canara Bank)
  • सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India)
  • यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (United Bank of India)
  • यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India)
  • इलाहाबाद बैंक (Allahabad Bank)
  • इंडियन बैंक (Indian Bank)
  • बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda)
  • बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra)
  • इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank)
  • सिंडिकेट बैंक (Syndicate Bank)
  • यूनाइटेड कमर्शियल बैंक (UCO Bank)
  • डीना बैंक (Dena Bank)

1980 में राष्ट्रीयकृत बैंक

  • आंध्र बैंक (Andhra Bank)
  • कॉर्पोरेशन बैंक (Corporation Bank)
  • ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (Oriental Bank of Commerce)
  • न्यू इंडिया बैंक (New India Bank)
  • पंजाब एंड सिंध बैंक (Punjab and Sind Bank)
  • विजया बैंक (Vijaya Bank)

राष्ट्रीयकरण के बाद का प्रभाव

राष्ट्रीयकरण के बाद, इन बैंकों का उद्देश्य केवल लाभ कमाना नहीं रह गया, बल्कि समाज के सभी वर्गों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना और आर्थिक विकास में योगदान देना भी बन गया। इससे बैंकिंग सेक्टर में कई सकारात्मक बदलाव आये हैं। 

ये भी पढ़े:-Kargil Vijay Diwas : जानें भारतीय सेना के शहादत के कुछ अनसुनी किस्से

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *