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Fodder Scam BiharFodder Scam Bihar

Fodder Scam Bihar : चारा घोटाला मामला बिहार के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला के नाम से जाना जाता है। आज हम आपको इस चर्चित चारा घोटाला का इतिहास बताऊंगा। साल दर साल कैसे यह चारा घोटाला उजागर हुआ और यह आगे बढ़ कर चारा घोटाला बिहार में महाघोटाला में बदल गया।

वजह सिर्फ इसमें शामिल रकम 950 करोड़ नहीं बल्कि इससे जुड़ा सब कुछ व्यापक रहा है। 21 साल पहले सीबीआई को इन सभी दस्तावेजों के लिए 11 करोड़ पन्नों की फोटोकॉपी करानी पड़ी थी। इस घोटाले में 978 आरोपी और 8000 गवाह रहे हैं। जांच में सीबीआई के 400 अफसर लगे 70 से ज्यादा जज इस मामले की सुनवाई कर चुके हैं।

चलिए हम आपको बताते हैं कि कब चारा घोटाला सामने आया और कैसे लालू यादव की परेशानी बढ़नी शुरू हुई। यह मामला दुमका कोषागार से हुई फर्जी निकासी से संबंधित है। इसमें लालू प्रसाद समेत कुल 47 आरोपी हैं। जिसमें से 15 अब इस दुनिया में नहीं है।

Fodder Scam Bihar
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Fodder Scam Bihar When and what happened in this scam

साल 1995 : सीएजी रिपोर्ट में यह गोलमाल सामने आया अलग-अलग कोष गारों से रुपए की अवैध निकासी की बात सामने आई।

27 जनवरी 1956:  उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के चाईबासा स्थित दफ्तर पर छापा मारा ऐसे दस्तावेज मिले जो चारा आपूर्ति के नाम पर रुपए की हेराफेरी की गवाही दे रहे थे। जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।

11 मार्च 1996: पटना हाई कोर्ट ने सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपा।

19 मार्च 1996: सीबीआई ने बिहार पुलिस द्वारा दर्ज 41 मामलों को अपने अधीन लेकर जांच शुरू की।

27 मार्च 1966: सीबीआई ने चाय बासा ट्रेजरी के मामले में प्राथमिकी दर्ज की।

23 जून 1997: कांड संख्या आरसी 20 ए बा 96 में लालू प्रसाद सहित 56 आरोपियों के खिलाफ चार्ज शीट दाखिल हुआ।

23 जुलाई 1997: कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ संज्ञान लिया।

30 जुलाई 1997: राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद ने सीबीआई की विशेष अदालत में समर्पण किया अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

12 दिसंबर 1997:  135 दिन न्याय के हिरासत में रहने के बाद लालू जमानत पर रिहा हुए।

4 अप्रैल 2000: लालू पर चार सीट उनकी पत्नी राबड़ी देवी को सह आरोपी बनाया गया मामला आय से अधिक संपत्ति का था। बाद में अदालत ने लालू प्रसाद व राबड़ी देवी को बेकसूर ठहराया

10 मई 2000: पटना हाई कोर्ट ने लालू को प्रोविजनल बिल दिया।

Fodder Scam Bihar in hindi

कैसे इन पाच सालों में लालू परिवार की मुश्किलें जो हैं व बढ़ती गई लेकिन मुश्किलें यहीं रुकने वाली नहीं थी। 

2001 के बाद लालू यादव और उनके परिवार की परेशानियां कैसे बढ़ी वो हम आपको बताते है।

5 अक्टूबर 2001: झारखंड बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से चारा घोटाले के कमोवेश सभी मामले झारखंड ट्रांसफर किए गए।

31 मई 2007: सीबीआई के विशेष न्यायाधीश यूएसपी सिन्हा ने आरसी 66 ए बा 96 में 82 लोगों को सजा सुनाई। इसमें लालू प्रसाद के दो भतीजे वीरेंद्र यादव और नागेंद्र राय भी थे।

20 जून 2013: सीबीआई के स्पेशल जज ने कांड संख्या आरसी 20 ए बा 96 में फैसले के लिए तिथि निर्धारित की 30 सितंबर 2013 सीबीआई के विशेष अदालत ने लालू प्रसाद को 5 साल की सजा सुनाई। जिसके बाद लालू यादव को लोकसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी और चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दिया गया।

14 नवंबर 2014:  झारखंड कोर्ट ने लालू प्रसाद को राहत देते हुए उन पर घोटाले की साजिश षड्यंत्र रचने की धारा को हटाने का आदेश दिया। इसके खिलाफ सीबीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंची।

20 अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

8 मई 2017: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया अब जब सुप्रीम कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव पर तमाम धाराओं के तहत केस चलाने का आदेश दे दिया है। अब लालू यादव की परेशानियां और भी बढ़ने वाली हैं।

अब यही माना जा सकता है कि चारा घोटाला मामला जो है वह लालू यादव के गले की फांस बनकर रह गई है।

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