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Indian Constitution Articles 22 To 25Indian Constitution Articles 22 To 25

Indian Constitution Articles 22 To 25 : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 से 25 तक नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित हैं, जो व्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा करते हैं।

Indian Constitution Articles 22 To 25 in Hindi

Article 22 of the Indian Constitution

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 22 मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है और इसमें कुछ प्रमुख प्रावधान शामिल हैं:

गिरफ्तारी और हिरासत के अधिकार:

किसी भी व्यक्ति को बिना बताए या गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को तुरंत न्यायाधीश के समक्ष पेश करना होगा।

बिना किसी न्यायिक आदेश के गिरफ्तारी के 24 घंटों के भीतर उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है।

रक्षा के अधिकार:

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी भी अधिवक्ता द्वारा अपने बचाव के लिए परामर्श और रक्षा का अधिकार है।

रोकथामीय हिरासत:

यह प्रावधान करता है कि रोकथामीय हिरासत की स्थिति में, ऐसे व्यक्ति को अधिकतम तीन महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है।

तीन महीने से अधिक रोकथामीय हिरासत की स्थिति में एक सलाहकार बोर्ड की अनुमति आवश्यक होती है। यह बोर्ड उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों या योग्य व्यक्तियों से मिलकर बनता है।

विशेष संरक्षण:

अनुच्छेद 22(1) और 22(2) के अधिकार उन व्यक्तियों पर लागू नहीं होते जिन्हें दुश्मन देश के नागरिक के रूप में माना जाता है या युद्ध की स्थिति में दुश्मन देश के साथ जुड़ा हुआ पाया जाता है।

इस अनुच्छेद का मुख्य उद्देश्य गिरफ्तार किए गए और हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करना है।

Indian Constitution Articles 22 To 25
Indian Constitution Articles 22 To 25

Article 23 of the Indian Constitution

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 23 “शोषण के विरुद्ध संरक्षण” के तहत आता है और यह मानव गरिमा की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान प्रदान करता है। अनुच्छेद 23 में निम्नलिखित प्रमुख प्रावधान शामिल हैं:

बंधुआ मजदूरी और जबरन श्रम का निषेध:

अनुच्छेद 23(1) के तहत बंधुआ मजदूरी और जबरन श्रम का निषेध किया गया है। किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध जबरन श्रम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
इसका उल्लंघन करने पर कानून द्वारा दंडनीय अपराध माना जाएगा।

अन्य प्रकार के शोषण का निषेध:

अनुच्छेद 23(1) में यह भी शामिल है कि किसी भी प्रकार के शोषण, चाहे वह शारीरिक हो, मानसिक हो या आर्थिक, को निषेध किया गया है।

राज्य द्वारा सेवा का प्रावधान:

अनुच्छेद 23(2) के तहत, राज्य के हित में अनिवार्य सेवा का प्रावधान हो सकता है। लेकिन इस प्रकार की सेवा में कोई भी व्यक्ति केवल धर्म, नस्ल, जाति, वर्ग या किसी भी भेदभाव के आधार पर भेदभाव का शिकार नहीं होगा।

इस अनुच्छेद का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा करना और उन्हें शोषण, बंधुआ मजदूरी और जबरन श्रम से बचाना है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 23 “शोषण के विरुद्ध संरक्षण” के संबंध में है और इसमें मुख्यतः निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:

बंधुआ मजदूरी और जबरन श्रम का निषेध:

अनुच्छेद 23(1) के अनुसार, मानव व्यापार, बंधुआ मजदूरी और अन्य समान प्रकार के शोषण को निषिद्ध किया गया है। किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध जबरन श्रम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

ऐसा करना कानून द्वारा दंडनीय अपराध है।

अनिवार्य सेवा का प्रावधान:

अनुच्छेद 23(2) के अनुसार, यह प्रावधान करता है कि राज्य, जनहित में, कुछ प्रकार की अनिवार्य सेवा को लागू कर सकता है। हालांकि, इस प्रकार की सेवा के लिए किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, जाति, वर्ग या किसी भी प्रकार के भेदभाव के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।

इस अनुच्छेद का मुख्य उद्देश्य व्यक्तियों को शोषण, मानव व्यापार, बंधुआ मजदूरी और जबरन श्रम से बचाना है, ताकि उनकी गरिमा और अधिकारों की रक्षा की जा सके।

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Article 24 of the Indian Constitution

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 24 “बालकों के कारखानों आदि में कार्य करने का निषेध” के संबंध में है और इसमें निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:

बाल श्रम का निषेध:

अनुच्छेद 24 के अनुसार, 14 वर्ष से कम आयु के किसी भी बालक को किसी कारखाने, खदान, या किसी अन्य जोखिमपूर्ण कार्य में नियोजित नहीं किया जाएगा।

यह अनुच्छेद बाल श्रम की समस्या को समाप्त करने और बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों को उनके आयु के अनुरूप शिक्षा और सुरक्षित वातावरण मिले, जिससे वे अपने भविष्य को बेहतर बना सकें।

Indian Constitution Articles 22 To 25
Indian Constitution Articles 22 To 25

Article 25 of the Indian Constitution

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 “अन्तःकरण की एवं धर्म का अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता” से संबंधित है। इसमें निम्नलिखित प्रमुख प्रावधान शामिल हैं:

धर्म की स्वतंत्रता:

अनुच्छेद 25(1) के अनुसार, सभी व्यक्तियों को अन्तःकरण की स्वतंत्रता है और उन्हें स्वतंत्र रूप से धर्म मानने, आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार है। यह अधिकार सभी नागरिकों को समान रूप से प्राप्त है, चाहे उनका धर्म कोई भी हो।

सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन:

यह अधिकार सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन है। इसका मतलब यह है कि यह स्वतंत्रता तभी तक है जब तक यह सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता या स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करती।

धार्मिक आचरण का प्रबंधन:

अनुच्छेद 25(2) के अनुसार, राज्य को सामाजिक सुधार और नागरिकों के कल्याण के लिए धर्म के गैर-धार्मिक पक्षों का विनियमन या प्रतिबंधन करने का अधिकार है। इसमें धार्मिक संस्थानों की आर्थिक, वित्तीय, राजनीतिक या अन्य धर्मनिरपेक्ष गतिविधियों का विनियमन भी शामिल है।

सामाजिक सुधार:

अनुच्छेद 25(2)(b) यह स्पष्ट करता है कि किसी भी धार्मिक समूह के प्रथाओं को प्रतिबंधित किया जा सकता है जो सामाजिक सुधार और कल्याण के लिए आवश्यक हो।

संक्षेप में, अनुच्छेद 25 सभी व्यक्तियों को धर्म मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, लेकिन यह स्वतंत्रता सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन है। यह प्रावधान धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक सुधार के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है।

ये अनुच्छेद भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों के अध्याय में आते हैं और नागरिकों के व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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