P.V. Narasimha Rao : पू्र्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव(P.V. Narasimha Rao) का पूरा नाम पामुलापर्ती वेंकट नरसिम्हा राव था। वे 1991 से 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता थे। नरसिम्हा राव को भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण और सुधारों के लिए जाना जाता है।
उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था ने बड़े परिवर्तन देखे और आर्थिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। उनके नेतृत्व में भारत ने 1991 के आर्थिक संकट से उबरने के लिए कई साहसिक निर्णय लिए, जो बाद में भारतीय आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण आधार बने। उ
नके प्रधानमंत्रित्व के दौरान वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधारों को लागू किया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा बदल गई।
पू्र्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को आंध्र प्रदेश (तत्कालीन हैदराबाद राज्य) के करीमनगर जिले के लक्ष्मणचंद्रू गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम पामुलापर्ती रंगल राव और माता का नाम पामुलापर्ती रुक्मिणी था।
We pay tribute to former Prime Minister P.V Narasimha Rao on his death anniversary. pic.twitter.com/rEhuqHJJAN
— Congress (@INCIndia) December 23, 2016
P.V. Narasimha Rao Birthday in hindi
P.V. Narasimha Rao early life and education
प्रारंभिक शिक्षा
प्रारंभिक विद्यालय: नरसिम्हा राव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा करीमनगर और वारंगल के स्थानीय विद्यालयों में प्राप्त की।
माध्यमिक शिक्षा: इसके बाद उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय के तहत आने वाले एक स्कूल में अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी की।
उच्च शिक्षा
स्नातक की पढ़ाई: उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
कानून की पढ़ाई: स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, नरसिम्हा राव ने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (एल.एल.बी.) की डिग्री प्राप्त की।
बहुभाषाविद्
पी. वी. नरसिम्हा राव एक बहुभाषाविद् थे और कई भाषाओं में निपुण थे। वे तेलुगु, हिंदी, उर्दू, मराठी, बंगाली, गुजराती, संस्कृत, तमिल, और कन्नड़ सहित कई भाषाएँ बोल सकते थे। यह बहुभाषिक ज्ञान उन्हें भारतीय संस्कृति और विविधता की गहरी समझ प्रदान करता था।
P.V. Narasimha Rao Literary Contribution
लेखन और शोध: नरसिम्हा राव ने अपने जीवन के विभिन्न चरणों में लेखन और शोध कार्य किया। वे भारतीय संस्कृति, इतिहास और राजनीति पर गहन जानकारी रखते थे।
प्रमुख कृतियाँ: उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का लेखन किया, जिनमें उनकी आत्मकथा “द इंसाइडर” प्रमुख है। इस पुस्तक में उन्होंने अपने जीवन और राजनीतिक अनुभवों का विस्तार से वर्णन किया है।
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Political career of P.V. Narasimha Rao
पी. वी. नरसिम्हा राव का राजनीतिक करियर भारतीय राजनीति के कई महत्वपूर्ण चरणों और पदों से होकर गुजरा। उनका राजनीतिक जीवन कई दशकों तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने विभिन्न जिम्मेदारियाँ निभाईं और भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर स्थायी प्रभाव डाला।
P.V. Narasimha Rao early political life
कांग्रेस पार्टी में प्रवेश: नरसिम्हा राव ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से की। वे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे और भारतीय स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री: 1971 से 1973 तक, वे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने भूमि सुधार और अन्य सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं पर काम किया।
Rise of P.V. Narasimha Rao in central politics
केंद्रीय मंत्री: नरसिम्हा राव ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में विभिन्न महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला।
विदेश मंत्री (1980-1984): इस अवधि में उन्होंने भारत के विदेशी संबंधों को मजबूती दी और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया।
गृह मंत्री: गृह मंत्रालय संभालते समय उन्होंने भारत की आंतरिक सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया।
रक्षा मंत्री: इस पद पर रहते हुए उन्होंने भारतीय रक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
Prime Ministerial tenure of P.V. Narasimha Rao (1991-1996)
प्रधानमंत्री बनना: 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना। 21 जून 1991 को उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
आर्थिक उदारीकरण: उनके प्रधानमंत्रित्व काल में भारत ने बड़े पैमाने पर आर्थिक सुधारों की शुरुआत की। इस प्रक्रिया का नेतृत्व वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने किया, लेकिन नरसिम्हा राव का राजनीतिक समर्थन और नेतृत्व भी महत्वपूर्ण था।
औद्योगिक लाइसेंसिंग का अंत: उन्होंने लाइसेंस राज को खत्म किया, जिससे उद्योगों को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति मिली।
विदेशी निवेश: उन्होंने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में नए संसाधन और प्रौद्योगिकी आई।
मुक्त व्यापार: उन्होंने व्यापार की बाधाओं को कम किया और भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ अधिक एकीकृत किया।
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Important events and challenges
बाबरी मस्जिद विध्वंस (1992): उनके कार्यकाल के दौरान अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ, जिसने देश में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया। इस घटना से निपटना उनके कार्यकाल की एक बड़ी चुनौती थी।
आर्थिक संकट: 1991 में भारत एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, लेकिन नरसिम्हा राव के साहसिक निर्णयों और सुधारों ने देश को आर्थिक स्थिरता की दिशा में अग्रसर किया।
पी. वी. नरसिम्हा राव बाद का जीवन
राजनीतिक सक्रियता: प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद भी नरसिम्हा राव ने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और कांग्रेस पार्टी के भीतर अपने अनुभव और ज्ञान से योगदान दिया।
पी. वी. नरसिम्हा राव प्रमुख उपलब्धियाँ
आर्थिक सुधार: नरसिम्हा राव के नेतृत्व में भारत ने 1991 में बड़े पैमाने पर आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा बदल गई।
वैश्विकरण: उनकी नीतियों ने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने में मदद की।
बाजारोन्मुख नीतियाँ: उनकी सरकार ने लाइसेंस राज को खत्म किया और उद्यमिता को प्रोत्साहित किया।
पी. वी. नरसिम्हा राव का साहित्यिक योगदान
पी. वी. नरसिम्हा राव एक विद्वान और लेखक भी थे। उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन किया, जिनमें “द इंसाइडर” नामक उपन्यास प्रमुख है। वे भारतीय संस्कृति और इतिहास के गहरे जानकार थे और उन्होंने भारतीय राजनीति और संस्कृति पर कई लेख और पुस्तकें लिखीं।
P.V. Narasimha Rao passes away
पी. वी. नरसिम्हा राव का निधन 23 दिसंबर 2004 को नई दिल्ली में हुआ। उनके निधन के बाद भी उनकी नीतियों और योगदान को भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है।
नरसिम्हा राव की विरासत एक दूरदर्शी नेता के रूप में मानी जाती है, जिन्होंने भारत को आर्थिक संकट से उबारकर एक नई दिशा प्रदान की। उनके सुधारवादी दृष्टिकोण और नेतृत्व ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया और आज भी उन्हें भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है।
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