world environment day 2024 : आज हम बात करेंगे विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में कि यह कब मनाया जाता है यह क्यों मनाया world environment day 2024 theme in hindi जाता है इसे मनाने का उद्देश्य क्या है।
इस साल 2024 की थीम क्या है और साथ ही इस आर्टिकल में हम इस साल की थीम को समझने की कोशिश भी करेंगे जिससे हम सभी लोग पर्यावरण संरक्षण में हमारा योगदान दे सके। दिन प्रतिदिन बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण और जनसंख्या बोझ के कारण पर्यावरण संरक्षण विश्व में सभी लोगों के लिए चिंता और चुनौती का विषय बन गया है।
वह कोई आम आदमी हो कोई उद्योगपति हो कोई सरकारी संगठन हो या गैर सरकारी संगठन वह कहते हैं कि जहां प्रकृति है वहां जीवन है। जब इसी प्रकृति को नुकसान पहुंचता है तो हमारे जीवन पर भी असर पड़ता है।
World environment day 2024 theme in hindi
प्रकृति मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत कुछ देती है बदले में हम क्या करते हैं हम पर्यावरण को दूषित करते हैं पेड़ों केअंधाधुन कटाई करते हैं। केमिकल्स का उपयोग करते हैं नई-नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करके पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करते हैं।
जिससे अलग-अलग प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती है। जीव-जंतुओं व पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है और साथ ही बारिश कम होने के कारण कई स्थानों पर पीने का पानी भी नहीं है। अधिक गर्मी के कारण कई स्थानों पर सूखा पड़ गया है, जमीन में उपस्थित नमी खत्म होती जा रही है।
जिसके कारण जमीनें बंजर हो रही है और जो जमीनें सही थी उस परे हमने अपने स्वार्थ के लिए या तो इतना पानी दे दिया है या इतना केमिकल्स का उपयोग कर लिया है कि वहां की मिट्टी अब फसल उगाने की के लिए सही नहीं है।
इसलिए इन सभी चीजों को रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण के लिए और लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग प्रकार की पर्यावरण संबंधित गतिविधियां आयोजित की जाती है।
वह कोई कार्यस्थल हो कोई स्कूल हो कोई कॉलेज हो या कोई अन्य स्थान इन सभी स्थानों पर निबंध प्रतियोगिताएं खेलकूद प्रतियोगिताएं बैनर प्रदर्शनी नाटक गीत आदि के माध्यम से लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की जाती है।
जिससे वह लोग ऐसा कोई कार्य ना करें और ना ही ऐसे उपकरणों या ऐसी सामग्री का उपयोग करें, जिससे पर्यावरण और जीव जंतुओं को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान पहुंचे। लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना ही इस दिवस का उद्देश्य है।
इस दिन की शुरुआत साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा की गई थी। बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को रोकने व कम करने के लिए स्टॉकहोम में पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था। जिसमें 119 देशों ने हिस्सा लिया था।
पहली बार यह दिवस 5 जून 1974 को मनाया गया था। इसके बाद हर साल पूरे विश्व में यह दिवस 5 जून को मनाया जाने लगा। हर साल इस दिवस की थीम अलग-अलग होती है। हर साल एक अलग देश इस दिवस की मेजबानी करता है।
world Environment Day 2024
Department of Ecology Environment & Remote Sensing (DEE&RS) EIACP Hub Jammu & Kashmir organized Quiz and Slogan Writing Competition and Plantation drive pic.twitter.com/nNYxJ9SeaS— JK EIACP HUB (@jkenvis) May 28, 2024
इस साल का मेजबान देश है सऊदी अरब This year’s host country is Saudi Arabia
इस साल का मेजबान देश है सऊदी अरब और इस साल की थीम है Land restoration, desertification and drought resilience। इस साल के थीम को अच्छे से समझने से पहले हम बात करते हैं लैंड रेस्टोरेशन क्या होता है। डेजर्ट फिकेशन एंड ड्रॉट रेजिल क्या होता है।
लैंड रेस्टोरेशन का मतलब है खराब भूमि को प्राकृतिक अवस्था या लगभग प्राकृतिक स्थिति में लाना, जो जीव जंतुओं मनुष्य पेड़ पौधों के लिए अति आवश्यक है। लैंड रीस्टोरेशन का उद्देश्य है जैव विविधता को बढ़ाना पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं को बहाल करना और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना।
उसी प्रकारडेजर्ट फिकेशन एंड ड्रॉट रेजिल का मतलब है कि जो जमीनें बंजर हो चुकी है या जिन स्थानों पर सूखा है। वहां पर कुछ ऐसा किया जाए जिससे उनके प्रभाव को कम किया जा सके। क्योंकि जो जमीनें बंजर हुई है या जिन स्थानों पर सूखा है।
ये सभी जमीन एक दो साल में नहीं हुआ है, उसे ऐसा होने में कम से कम 50 से 70 साल लगते हैं। उसी प्रकार इन जमीनों को वापस से उस अवस्था में आने में भी समय लगेगा। लेकिन जब तक ये जमीनें फिर से सही नहीं हो जाती तब तक हमें इनके इफेक्ट से बचने के लिए कुछ समाधान तो निकालने होंगे।
जिसे जीव जंतुओ मनुष्य और पेड़ पौधों को बचाया जा सके। यह थीम हमें यही बताती है कि हमें मिट्टी की गुणवत्ता को सही करना होगा। जिससे पेड़ पौधे फसलें लग सके। बारिश अधिक हो जिससे सूखा जैसी समस्याओं को कम किया जा सके। जो उपजाऊ जमीनें बंजर भूमि में बदल चुकी है उन्हें फिर से उपजाऊ बनाए जा सके।
क्योंकि आजकल हम सभी लोग अपने स्वार्थ के लिए वह सभी कार्य कर रहे हैं जो पर्यावरण के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है, जैसे प्लास्टिक का आवश्यकता से अधिक उपयोग करना पेड़ों की अंधाधुन कटाई करना, नदी नालों में गंदा पानी छोड़ना, कारखानों से निकलने वाला जहरीला धुआ और फसलें जल्दी और ज्यादा उगाने के चक्कर में केमिकल्स का उपयोग करना आदि इन सभी के कारण पर्यावरण जीव जंतुओं मनुष्यों पर बुरा असर पड़ रहा है।
पेड़ों के अंधु कटाई के कारण और बारिश कम होने के कारण जमीन में पानी का स्तर भी काफी नीचे चला गया है। यह समय के साथ कम हो रहा है। इसलिए हम सभी लोगों को इन सभी बातों पर गहराई से चिंतन करना होगा और समाधान निकालना होगा। जिससे पर्यावरण फिर से हरा भरा हो सके। पेड़-पौधे लग सके, फसलें अच्छी हो और कम बारिश जैसी समस्याएं खत्म हो सके। हम सभी लोग एक खुशाल जीवन जी सके।
Land restoration, desertification and drought resilience
आगे बात करते हैं कि कैसे हम लैंड रेस्टोरेशन कर सकते हैं और कैसे डेजर्ट फिकेशन एंड ड्रॉट रेजिल के प्रभाव को कम कर सकते हैं पेड़ों की कटाई कम करें। जहां तक संभव हो पेड़ नहीं काटने चाहिए और पेड़ों की कटाई कम करनी चाहिए। जिससे हम सभी लोग पर्यावरण संरक्षण में हमारा योगदान दे सके।
क्योंकि जब पेड़ ही नहीं होंगे तो बारिश नहीं होगी। अगर बारिश कम होगी तो सूखा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। हमें जितना हो सके कागज का उपयोग कम करना चाहिए क्योंकि कागज पेड़ों से बनता है। क्योंकि जितनी ज्यादा कागज की डिमांड होगी उतनी ही ज्यादा पेड़ों की भी कटाई होगी।
हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए। हम सभी लोगों को जितना हो सके पेड़ लगाने चाहिए, क्योंकि धरती पर जीवन के लिए पेड़ बहुत ज्यादा जरूरी है। हमें किसी भी समारोह पर चाहे किसी का जन्मदिन हो किसी के एनिवर्सरी हो कम से कम एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए।
जिन स्थानों पर सूखा है वहां पर बारिश से पहले पहले छोटे-छोटे गड्ढे खोद देने चाहिए। जिससे उनमें बारिश का पानी इकट्ठा हो सके और उनके आसपास पेड़ लगाएं। क्योंकि पौधारोपण द्वारा और सुख रोधी फसलों की खेती करके सूखे के प्रभाव को कम किया जा सकता है। पानी का उपयोग सही तरीके से करें।
how to save the environment
हमें हमेशा पानी का उपयोग सही तरीके से करना चाहिए। कभी भी इसे व्यर्थ पानी नहीं बहाना चाहिए क्योंकि पानी हमारे जीवन का एक अनमोल हिस्सा है। सिंचाई के तरीकों में परिवर्तन करके जल के दुरुपयोग को रोकने वाली सिंचाई पद्धतियां जैसे ड्रिप सिंचाई स्प्रिंग सिंचाई आदि को अपनाकर जल की बर्बादी को रोका जा सकता है।
हमें बारिश के पानी को भी स्टोर करना चाहिए, क्योंकि वो कहते हैं ना कि जल है तो कल है। जिन चीजों के उपयोग से पर्यावरण को नुकसान होता है उनका उपयोग नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा उन्हीं चीजों का उपयोग करना चाहिए, जिससे पर्यावरण को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान ना हो।
जितना हो सके हमें केमिकल्स का उपयोग नहीं करना चाहिए। नदी नालों में गंदा पानी नहीं छोड़ना चाहिए और ध्यान रखें उर्वरक का उपयोग भी कम से कम करना चाहिए। क्योंकि इससे मिट्टी की गुणवत्ता खराब होती है। फसल के लिए देसी खाद जैसे गाय के गोबर का उपयोग करना चाहिए।
हमें हर साल अलग-अलग प्रकार की फसल उगानी चाहिए। जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहे। हम किसी फसल की खेती करते हैं। उस फसल की खेती के लिए हमें अधिक पानी और अधिक उर्वरक की आवश्यकता होती है।
अगर हम ऐसा लंबे समय तक करेंगे तो वहां की मिट्टी की गुणवत्ता में कमी आ सकती है। इस चीज से बचने के लिए हमें ऐसी फसल की खेती करनी चाहिए। जिसमें कम पानी लगे और कम उर्वरक की आवश्यकता हो जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहे।
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