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Santosh Anand StorySantosh Anand Story

Santosh Anand Story : लेजेंडरी गीतकार संतोष आनंद जी को आज की पीढ़ी उनके नाम से भले ही न पहचानती हो लेकिन उनके लिखे गीत हर कोई सुनता है और गुनगुनाता है।

संतोष आनंद ने अपने दौर में एक से बढ़कर एक नायाब और अमर गीत लिखे हैं। इक प्यार का नगमा है, जिंदगी की ना टूटे लड़ी और मोहब्बत है क्या चीज, जैसे एक से बढ़कर एक गीतों को लिखने वाले संतोष आनंद अब बुजुर्ग हो चुके हैं और फिल्मों में गीत लिखने के लिये उनके पास अब कोई काम नहीं है।

शारीरिक रूप से लाचार संतोष आनंद आजकल बहुत ही मुश्किलों का सामना कर रहे हैं बावज़ूद इसके वे आज भी संघर्षरत हैं और कवि सम्मेलनों और मुशायरों में दूर दूर तक जाकर अपनी लेखनी का जादू दिखाते रहते हैं।

आख़िर ऐसा क्या हुआ उनके साथ जो वे अचानक फिल्मी दुनियाँ से दूर हो गये? वो कौन सा हादसा था जिसने उन्हें तोड़कर रख दिया? इन सभी बातों पर चर्चा करने से पहले आइये एक नज़र डाल लेते हैं उनके गीतकार बनने के सफर पर।

Santosh Anand Story in Hindi

Santosh Anand Story
Santosh Anand Story

संतोष आनंद की जीवनी Biography of Santosh Anand

संतोष आनंद का जन्म 5 मार्च 1939 को बुलंदशहर के सिकंदराबाद में हुआ था जो उत्तर प्रदेश में स्थित है। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से लाइब्रेरी साइंस की पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद संतोष दिल्ली में बतौर लाइब्रेरियन काम करने लगे।

किताबें पढ़ते पढ़ाते धीरे-धीरे उन्हें कविताओं का शौक हो गया और वे दिल्ली में होने वाले कवि सम्मेलनों में हिस्सा भी लेने लगे। वे कविताओं के साथ-साथ गीत और ग़ज़ल भी लिखा करते। उनके गीतों पर जब जाने माने अभिनेता निर्माता व निर्देशक मनोज कुमार जी की नज़र पड़ी तो उन्होंने संतोष जी को अपनी फिल्म के लिये गीत गीत लिखने को कहा।

संतोष आनंद को पहली बार फिल्म के लिए गाने लिखने का ऑफर मिला फिल्म पूरब और पश्चिम के लिए जो वर्ष 1970 में प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म का गीत ‘पुरवा सुहानी आई रे’ बेहद पॉपुलर हुआ। इस गाने से मनोज कुमार इतने प्रभावित हुए कि अपनी आगामी सभी फिल्मों में संतोष जी से ही गीत लिखवाने का मन बना लिया।

वर्ष 1972 में प्रदर्शित फिल्म शोर के लिए संतोष जी का लिखा और मुकेश व लता मंगेशकर का गाया गीत ‘एक प्यार का नगमा है’ गीत बहुत पॉप्युलर हुआ था जो आज भी हर किसी का पसंदीदा गीत है । इस गीत की कामयाबी के बाद संतोष जी के आगे फिल्मों की लाइन लग गयी।

संतोष आनंद ने लिखे कई सुपरहिट गाने Santosh Anand wrote many superhit songs

इसके बाद संतोष आनंद ने रोटी कपडा और मकान, क्रांति, प्यासा सावन, प्रेम रोग, लव 86, बड़े घर की बेटी, संतोष और सूर्या जैसी ढेरों बड़ी फिल्मों में एक से बढ़कर एक सुपरहिट गीत लिखे। 70 और 80 के दशकों में ढेरों कामयाब गीत लिखने के बाद उनका यह सफर 90 के दशक में भी ज़ारी रहा।

दो मतवाले, नागमणि, रणभूमि, जूनून, संगीत, तहलका, तिरंगा, संगम हो के रहेगा और प्रेम अगन जैसी ढेरों फिल्मों के गीतों में अपनी कलम का जादू संतोष दिखाते रहे। संतोष आनंद ने कुल 26 फिल्मों में 109 गाने लिखे हैं. जिन्हें मुकेश, लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर जैसे लेजेंडरी सिंगर्स से लेकर मोहम्मद अजीज, कुमार शानू और कविता कृष्णमूर्ति जैसे ढेरों शानदार गायक गायिकाओं ने आवाज दी हैं।

Santosh Anand Story
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फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के लिए मिला था फिल्मफेयर अवॉर्ड Received Filmfare Award for the film Roti Kapda Aur Makaan

फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के लिए ‘और नहीं बस और नहीं’ और ‘मैं ना भूलूंगा’ जैसे सफल गीतों को लिख उन्होंने वर्ष 1974 में अपना पहला बेस्ट लिरिसिस्ट का फिल्मफेयर अवॉर्ड हासिल किया।

वर्ष 1981 में एक तरफ संतोष जी ने उस वर्ष की सबसे सफल फिल्म क्रांति के गीत लिखे तो साथ ही उसी वर्ष उन्होंने फिल्म प्यासा सावन के लिए भी अमर गीत “तेरा साथ हैं तो मुझे क्या कमी है” और “मेघा रे मेघा मत परदेस जा रे” भी लिखा।

इसके बाद वर्ष 1983 में प्रदर्शित फिल्म प्रेम रोग के गीत ‘मुहब्बत है क्या चीज’ के लिए एक फिर फिर उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 2016 में संतोष आनंद जी को यश भारती के सम्मान से भी नवाज़ा गया।

Santosh Anand Story
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संतोष आनंद जी से जुड़ी उस घटना के बारे में जिसने उन्हें पूरी तरह से तोड़कर रख दिया। Santosh Anand Story

संतोष आनंद जी की एक बेटी और एक बेटा हैं।  जिनका नाम है शैलजा आनंद हैं और संकल्प आनंद हैं। युवावस्था में ही एक दुर्घटना में एक टांग से विकलांग हो चुके संतोष आनंद जी की शादी के 10 वर्षों के बाद बड़ी मन्नतों से पुत्र प्राप्त हुआ जिसका नाम उन्होंने संकल्प आनंद रखा। वे बताते हैंं कि ठीक उसी दिन उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड के लिये भी चुना गया।

संकल्प आनंद दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश नारायण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस में समाजशास्त्र के लेक्चरर थे। करोड़ों के फंड की गड़बड़ी में शामिल होने के लिये उनके अधिकारियों को तरफ से उन पर बहुत दबाव डाला गया नतीज़ा वे मानसिक रूप से परेशान रहने लगे।

एक दिन हालात और बदनामी से तंग आकर संकल्प ने पत्नी नंदिनी और बेटी रिद्धिमा आनंद के साथ अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला कर लिया। ये सारी बातें संकल्प ने बाकायदा अपने स्टेटमेंट में लिखा था।

15 अक्टूबर 2014 को वे सपरिवार दिल्ली से मथुरा पहुंचे और कोसीकलां कस्बे के पास रेलवे ट्रैक पर पहुंच कर पत्नी और बेेटी सहित ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी। हाालांकि इस हादसे में उनकी बेटी की किसी तरह बचा लिया गया।

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इंडियन आइडल में दिखे थे फिर से Was seen again in Indian Idol

दोस्तों संतोष आनंद इंडियन आइडल के एक एपीसोड में संगीतकार को अचानक कैमरे के सामने देख उनके चाहने वाले भावुक हो उठे। इस कार्यक्रम में उन्होंने अपने संघर्ष को सबके साथ साझा किया, जिसे सुनकर सिंगर नेहा कक्कड़ ने 5 लाख रुपये की मदद की बात की।

जिसे उन्होंने पहले तो मना कर दिया लेकिन नेहा के बार बार यह कहने पे कि यह एक पोती की तरफ से उसके दादाजी को एक तोहफा है, उन्हें स्वीकार करना ही पड़ा। इसके अलावा विशाल ददलानी ने भी संतोष आनंद से उनके लिखे वो गीत मांगे जो उन्होंने पहले से लिख रखे हैं।

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