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NITHARI HATYAKAND :चार पुलिसवाले एक व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रहे थे। तभी उस व्यक्ति ने ऐसा जवाब दिया कि चारों उठ खड़े हुए। बाहर भागे। दो पुलिसवालों को उल्टी आ गई। दो गाड़ी पुलिस और आई। अब कमरे में 10 पुलिसवाले थे और आरोपी का हाथ बांधकर उससे पूछताछ शुरू की। मर्डर मिस्ट्री सीरीज की 11वीं कहानी नोएडा के निठारी गांव से है। जहां एक कोठी में 19 बच्चों का बेरहमी से कत्ल होता है।फिर रेप होता है और फिर उनके शरीर के हिस्सों को काटकर खाया जाता था।

नर से नरभक्षी तक का सफर

आइए पूरी कहानी बताते हैं। नोएडा के सेक्टर 31 में एक छोटा सा गांव है। गांव का नाम निठारी है। जनवरी 2006 से निठारी के आसपास गांव से बच्चे गायब होने लगे। लोग पुलिस के पास जाते तो पुलिस कहती अरे कहीं इधर-उधर गया होगा आ जाएगा। लोग गरीब परिवार से थे। पुलिस के भरोसे बैठने के बजाय खुद ही खोजने लगे।

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बच्चों के गायब होने के क्रम में 7 मई 2006 को सेक्टर 19 के गदरपुर की दीपिका उर्फ पायल लापता हो गई 20 साल की पायल के पिता नंदलाल पुलिस के पास गए तो उन्हें भी पुलिस ने कहा, अपने किसी दोस्त के साथ चली गई होगी। आ जाएगी। नंदलाल बाकी लोगों की तरह सब्र करने वालों में नहीं थे। उन्होंने खोजना शुरू किया तो उन्हें एक रिव्शावाला मिला जिस पर बैठकर पायल घर से निकली थी। रिव्शेवाले ने बताया, “पायल मेरे रिव्शे पर बैठी और सेक्टर 31 में डी-5 कोठी के सामने उतरी।

रेप के बाद हत्या

अंदर से पैसा लेकर आने की बात कही। अंदर गई, लेकिन कारफी वक्त तक बाहर नहीं आई। मैंने दरवाजा खटखटाया तो एक व्यक्ति निकला और कहा, वो तो यहां से निकलकर चली गई।”नंदलाल ने डी-5 कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर पर एफआईआर करना चाहा, लेकिन पुलिस ने दर्ज नहीं किया। क्योंकि मोनिंदर सिंह पंढेर करोड़पति व्यक्ति था। पुलिस में पहचान थी। विदेशों में आना-जाना था। नंदलाल एक वकील करते हैं और सेशन कोर्ट में पहुंच जाते हैं।

कोर्ट ने मोनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। अब मोनिंदर सिंह को ये बुरा लगा। उसने एफआईआर रद्द करवाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। कहा, “बच्चा चोरी जैसी बातें अफवाह हैं।” कोर्ट ने दलील खारिज करते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली। अक्टूबर 2006 में डी-5 कोठी की जांच करने पहुंची। सब कुछ देखा, लेकिन कुछ क्लू हासिल नहीं कर सकी।

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आदमखोर का पहला शिकार

दिसंबर 2006 में कुछ ऐसा हुआ कि देश आज भी नहीं भूल पाया। मोनिंदर सिंह पंढेर पंजाब का था। उसने साल 2000 में एक नोएडा में कोठी ले ली। शुरूआत के दिनों में पत्नी और बेटे भी यहीं रहते थे लेकिन 2003 तक दोनों पंजाब शिफ्ट हो गए। मोनिंदर भी बहुत कम आता था। इसलिए उसने अपने एक कर्नल दोस्त से कोई नौकर के बारे में पूछा। कर्नल ने सुरेंद्र कोली का नाम सुझाया। सुरेंद्र उत्तराखंड के अल्मोड़ा से था। शादी हो चुकी थी।

दो बच्चे थे। खाना बढ़िया बनाता था। इसलिए मोनिंदर को पसंद अआ गया और उन्होंने 2003 में उसे रख लिया। मोनिंदर सिंह कभी-कभी डी-5 आता था। जब आता तो वह रातभर के लिए कॉलगर्ल बुलाता था। उन लड़कियों के साथ जब वह कमरे में होता था तो नौकर सुरेंद्र कोली खिडकियों के छोटे हिस्सों से अंदर देखने की कोशिश
करता था। एक बार पंढेर ने दिल्ली के कई दलालों को फोन मिलाया, लेकिन कोई लड़की नहीं मिली।

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तब उसने पहली बार सुरेंद्र कोली से लड़की का इंतजाम करने को कहा। सुरेंद्र कहीं से एक लड़की लेकर आ गया। सुबह जब पंढेर चला गया तो कोली ने लड़की के साथ सेक्स की चाहत दिखाई। लड़की ने हंसते हुए कहा, “तुमसे नहीं हो पाएगा। ” इस बात से कोली को इतना गुस्सा आया कि उसने लड़की की गला दबाकर हत्या कर दी। हत्या के बाद उसने क्या किया ये कहानी के आगे बताते हैं। कोली की यह पहली हत्या थी। नंदलाल अपनी बच्ची के लिए लगातार संघर्ष कर रहे थे।

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जिन और लोगों के बच्चे गायब थे वह भी नंदलाल के साथ आ गए। इलाके में जिनसे भी लापता बच्चों के बारे में पूछा जाता, सभी कहते आखिरी बार डी-5 के सामने देखा। डी-5 में पुलिस का दौरा शुरू हुआ तो आसपास के लोगों ने भी गौर करना शुरू किया। एक व्यक्ति कि नजर पंढेर की कोठी के ठीक पीछे नाले में फेंकी गई पॉलिथीनों पर गई। उसने डंडे के जरिए उसे बाहर निकाला तो सन्न रह गया। उसमें बच्चों के पैर और हाथ के टुरकड़े थे। इसकी सूचना मिलते ही बडी संख्या में पुलिस मौके पर पहुंच गई।

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29 दिसंबर 2006, पुलिस ने नाले से 19 कंकाल निकाले। सभी में बच्चों और लड़कियों की हड़डियां और कुछ में मांस के टुकड़े थे। सभी बड़े मीडिया संस्थानों की ओबी वैन पहुंच गई। पुलिस के सभी बड़े अधिकारी मौके पर पहुचे। मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया। केस में सीबीआई लग गई। 30 दिसंबर को एक बार फिर से नाले में लोग उतरे तो उन्हें 40 ऐसे पैकेट मिले, जिसमें सिर्फ मानव के अंग भरे थे।

अजीब ये कि किसी मे भी गर्दन से लेकर पेट तक का हिस्सा नहीं था। पुलिस को लगा मानव अंगों की तस्करी हो रही थी। शुरुआती जांच में पुलिस को लगा इस घर से मानव अंगों की तस्करी हो रही थी इसलिए शायद किडनी, लीवर, दिल निकालने के लिए लोगों की हत्या की गई। लेकिन, तुरंत ही ये भी बात सामने आ गई कि मानव अंगों को
निकालना और ट्रांसप्लांट करना हाईफाई हॉस्पिटल में ही संभव है यहां नहीं हो सकती। पुलिस अब हत्या के मामलों को तलाशने में जुट गई। पुलिस ने पूछताछ शुरू की तो मोनिंदर सिंह पंढेर इस बात को मानने को तैयार नहीं था कि उसने किसी बच्चे की हत्या की है।

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मुलायम सिंह यादव का सख्त आदेश

उस वक्त के सीएम मुलायम सिंह यादव ने प्रशासन को जल्द से जल्द खुलासा करने का आदेश दिया। 5 जनवरी 2007 को पुलिस मोनिंदर सिंह पंढेर और कोली को लेकर गुजरात के गांधीनगर पहुंच गई। यहां उनका नॉको टेस्ट हुआ। इसके बाद 10 जनवरी को सीबीआई और पुलिस ने दोनों से पूछताछ  के लिए एक गुप्त जगह चुनी। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों को लेकर जनता में इतना गुस्सा था कि अगर मिलते तो पीट दिए जाते। 25 जनवरी 2007 को गाजियाबाद में ऐसा ही हुआ था।

फिलहाल हम पूछताछ में जो हुआ उसे बताते हैं। एक कमरे में सुरेंद्र कोली को बैठाया गया। चार पुलिसवाले उससे पूछने लगे। पुलिस ने सारे तरीके अपनाए फिर कहा, मोनिंदर सिंह पंढेर ने तुम्हारे नाम से सब कुछ बोल दिया है। अब तुम नहीं बचोगे। सुरेंद्र ने सच बोलना शुरू किया। उसने कहा, मैं बच्चों को टॉफी-बिस्कुट के बहाने घर के अंदर बुलाता था। फिर उनका गला घोटता और रेप करता था। इतना करने के बाद बाथरूम में ले जाकर उन्हें छोटे-छोटे ट्कड़ों में करता।

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रेप के बाद मार कर खा जाते थे आदमखोर

पेट के हिस्से को कुकर में पकाता था। पुलिस वाले इतना सुनने के बाद कांप गए। भागकर बाहर आए। दो पुलिसवाले उल्टी कर दिए। पुलिस के चारों इंस्पेक्टर इतने डर और घिन से भर गए कि वह दोबारा पूछताछ के लिए तैयार ही नहीं हो रहे थे। बड़े अधिकारियों ने किसी तरह से समझाया तब जाकर बात बनी। पहले सुरेंद्र कोली के हाथ को बांधा गया और उसके बाद 10 पुलिसवाले इकट्ठा बैठे तब जाकर आगे की पूछताछ हुई।

कोली ने पहली हत्या के बारे में बताया, “जब पंढेर चले गए तो मैने लड़की को कहा कि मैं भी पैसा दूंगा तुम मेरे साथ हमबिस्तर हो जाओ। तब लड़की ने ताना मारते हुए कहा- तुमसे न होगा। इससे मुझे गुस्सा आ गया और मैंने कत्ल किया। फिर रेप किया और उसकी बॉडी को काटकर कुकर में पकाकर खाया।” पुलिस ने कोली की मेडिकल जांच में नपुंसक बताया फिर रेप चार्ज भी लगाए सुरेंद्र कोली गिरफ्तारी से पहले खुद के नपुंसक होने की बात बोलता रहता है। इसलिए पुलिस ने एकबार उसका मेडिकल करवाया। मेडिकल में उसके नपुंसक होने की बात कही गई।

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शक्तिवर्दक दवाई का करता था सेवन

लेकिन इसका टूसरा पहलू यह भी है कि वह मेडिकल स्टोर से यौन उत्तेजना के लिए टैबलेट लाता और उसे खाने के बाद लड़के-लड़कियों में फर्क नहीं कर पाता था। लड़कियों की पहले हत्या करता फिर उनके साथ सेक्स। अब सवाल है कि अगर वह नपुंसक था तो रेप की धारा क्यों लगाई गई? डॉक्टरों ने कोली को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया। उसमें बताया कि सुरेंद्र कोली नेक्रोफिलिया बीमारी से ग्रसित था। कोली को रेप के दौरान लड़कियों के विरोध का डर था।

इसलिए वह पहले हत्या करता फिर बच्चों के साथ सेक्स करता था। इसके बाद उसकी हत्या करता और कूकर में बनाकर खाता। नपुंसकता को लेकर एक सवाल यह भी है कि अगर वह ऐसा था तो उसने शादी क्यों की? और फिर उसके दो बच्चे कैसे हुए? पुलिस में मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली के खिलाफ कुल 17 मामले दर्ज हुए । पैकेट में मिले मांस के टुकड़ों और हड्डियों के जरिए 7 फरवरी 2007 को पिंकी नाम की लड़की की पहचान कर ली।

12 बार मिला फांसी की सजा

8 फरवरी को दोनों ही आरोपियों को 14 दिन की सीबीआई कस्टडी में भेज दिया गया। मई 2007 में सीबीआई ने रिम्पा हलदर नाम की लड़की की किडनैपंग, रेप और मर्डर मामले में जो चार्जशीट फाइल की उसमें पंढेर को बरी कर दिया। जुलाई में अदालत की फटकार के बाद सीबीआई को पंढेर को भी कोली के साथ आरोपी बनाना पड़ा। 2009 से अब तक 12 बार फांसी का फैसला सुनाया गया .

13 फरवरी 2009 को स्पेशल कोर्ट ने रिम्पा हलदार मर्डर मामले में सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा सुनाई। 11 सितंबर 2009 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में पंढेर को तो बरी कर दिया, लेकिन सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई। 4 मई 2010 को सीबीआई की सपेशल कोर्ट ने सात साल की आरती के मर्डर के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। 28 अक्टूबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्रकोली की फांसी पर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। कोली को फांसी से बचाने के लिए उतर आई वकील 7 सितंबर 2014 को एक खबर आई।

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फांसी पर पुनर्विचार

सुरेंद्र कोली को ৪ सितंबर की सुबह मेरठ जेल में फांसी दी जाएगी। उसे डासना जेल से मेरठ सेंट्रल जेल शिफ्ट किया जा रहा है। यह बात पूर्व एडिशनल सॉलीसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह को पता चलती है तो वे रात के 9.30 बजे सुप्र्ीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आराएम लोढ़ा से वक्त मांगती हैं। रात 10.45 बजे सीनियर जस्टिस एचएल दतू और एआर दवे की स्पेशल बेंच बनती है और वह सुनवाई करती है।

रात एक बजे दोनों जजों ने इंदिरा जयसिंह की अपील सुनी और सुरेंद्र कोली की फांसी एक हफ्ते के लिए टाल दी। लेकिन, अब सवाल था कि सरकारी तरीके से आदेश जेलर तक कैसे पहंचाया जाए । सबसे पहले मेरठ के डीएम और एसएसपी को फोन किया गया। इसके बाद इस आदेश के फैक्स होने का इंतजार करने को कहा गया। रात 3.45 बजे दोनों के पास फैक्स पहुंच गया। इसके बाद फांसी रुक गई।

अगर 2 घंटे और लेट होता तो सुरेंदर कोली की फांसी हो चुकी होती। परिवार कहता है कि उसे सजा हो फिलहाल इसके बाद 8 साल बीत गए, लेकिन अरभी तक सुरेंद्र कोली को फांसी नहीं हो सकी। 17 में से 13 मामलों के फैसले आ चुके हैं। 12 मामलों में सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। पिछला फैसला 26 मार्च 2021 को आया था उसमें कोली बरी हुआ था। सुरंद्र ने इस मामले में खुद ही पैरवी की थी। उसकी तरफ खड़ा होने वाला कोई नहीं है। परिवार के लोग कहते हैं कि उसने ऐसा किया है तो उसे माफी नहीं मिलनी चाहिए।

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3 thoughts on “CRIME MYSTERY EP6: निठारी नरभक्षी हत्याकांड”

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